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प्रियतम की प्रतीक्षा

अल्पा मेहता ‘एक एहसास’
राजकोट (गुजरात)
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बरखा बिजुरिया नील नभ मंडराई,
काले बादलों संग घिर घिर आई।

समीर संग खेले तितलियाँ,
बाग-ए-बहार सुर्ख पत्ते हरी डालियाँ।

झिलमिलाती पवन पुरवैया,
घुमड़-घुमड़ आई सावन की झड़ी।

भीगा मन भीगे मौसम की अंगड़ाईयाँ,
मन का मयूर डोले संग तेरे ओ साथिया।

परदेश बसे मोरे मन के मितवा,
सूना-सूना हृदय पुकारे ओ मोरे प्रीतवा।

अब के सावन आ जइयो मेरे बलम,
सूनी पड़ी है मोरी सांझ ओ सजन।

राह तकूं चारों प्रहर बैठ झरोखे,
डाकिए को भी रोकूं हर भोर प्रहर पे।

न चिट्ठी आई,न संदेश कोई…,
उदास मन भीतर में बहुत रोई।

तुझ बिन मेरी न भोर भये,
शाम की चादर तले रतिया चुभे।

आस लगाए उम्र बीतती जाए,
मैं पगली उम्मीदों पे आज तक।

कितना इंतजार,जीती जाए..
आज तक जीती जाए..॥

परिचय-अल्पा मेहता का जन्म स्थल राजकोट (गुजरात)है। वर्तमान में राजकोट में ही बसेरा है। इनकी शिक्षा बी.कॉम. है। लेखन में ‘एक एहसास’ उपनाम से पहचान रखने वाली श्रीमती मेहता की लेखन प्रवृत्ति काव्य,वार्ता व आलेख है। आपकी किताब अल्पा ‘एहसास’ प्रकाशित हो चुकी है,तो कई रचना दैनिक अख़बार एवं पत्रिकाओं सहित अंतरजाल पर भी हैं। वर्ल्ड बुक ऑफ़ टेलेंट रिकॉर्ड सहित मोस्ट संवेदनशील कवियित्री,गोल्ड स्टार बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड एवं इंडि जीनियस वर्ल्ड रिकॉर्ड आदि सम्मान आपकी उपलब्धि हैं। आपको गायन का शौक है।

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