प्रियतम की प्रतीक्षा
अल्पा मेहता ‘एक एहसास’राजकोट (गुजरात)*************************************** बरखा बिजुरिया नील नभ मंडराई,काले बादलों संग घिर घिर आई। समीर संग खेले तितलियाँ,बाग-ए-बहार सुर्ख पत्ते हरी डालियाँ। झिलमिलाती पवन पुरवैया,घुमड़-घुमड़ आई सावन की झड़ी।…