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प्रेम का नाता जोड़

डीजेंद्र कुर्रे ‘कोहिनूर’ 
बलौदा बाजार(छत्तीसगढ़)
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अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी दिवस विशेष………..


जब-जब युद्ध हुआ देशों में,
तब-तब शरणार्थी संकट आया लोगों में।
जीवन भी क्या चीज है,
कहां से कहां पहुंच जाते हैं।
एक बित्ता पेट के कारण,
देश को भी छोड़ जाते हैं।
सड़क मार्ग हो या समुद्री मार्ग,
संकट से नहीं घबराते हैं।
आंधी आए या पानी आए,
मौत से टकरा जाते हैं।
हिंसा इनका प्रमुख कारण,
कैसे निपटा जाएगा ?
मानव की एक ही जाति हो,
भाईचारा बन जाएगा।
छुआछूत धर्म-संप्रदाय को,
बंद करना अब पड़ेगा।
दूसरों का सम्मान कर लो,
प्रेम सूत्र में मानव बंध जाएगा।
हिंसा को त्याग कर,
प्रेम का नाता जोड़।
पलायन की समस्या न आएगी,
एकता की मिसाल बन जाएगीll

परिचय-डीजेंद्र कुर्रे का निवास पीपरभौना बलौदाबाजार(छत्तीसगढ़) में है। इनका साहित्यिक उपनाम ‘कोहिनूर’ है। जन्मतारीख ५ सितम्बर १९८४ एवं जन्म स्थान भटगांव (छत्तीसगढ़) है। श्री कुर्रे की शिक्षा बीएससी (जीवविज्ञान) एवं एम.ए.(संस्कृत,समाजशास्त्र, हिंदी साहित्य)है। कार्यक्षेत्र में बतौर शिक्षक कार्यरत हैं। आपकी लेखन विधा कविता,गीत, कहानी,मुक्तक,ग़ज़ल आदि है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत योग,कराटे एवं कई साहित्यिक संस्थाओं में भी पदाधिकारी हैं। डीजेंद्र कुर्रे की रचनाएँ काव्य संग्रह एवं कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित है। विशेष उपलब्धि कोटा(राजस्थान) में द्वितीय स्थान पाना तथा युवा कलमकार की खोज मंच से भी सम्मानित होना है। इनके लेखन का मुख्य उद्देश्य समाज में फैली कुरीतियां,आडंबर,गरीबी,नशा पान, अशिक्षा आदि से समाज को रूबरू कराकर जागृत करना है।

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