प्रिया देवांगन ‘प्रियू’
पंडरिया (छत्तीसगढ़)
************************************
छन्न पकैया छन्न पकैया,पैदल चलते जाते।
बोझ उठाते सिर पर सारे,फिर भी हैं मुस्काते॥
छन्न पकैया छन्न पकैया,सिर पर रखते झोले।
मुश्किल आती राहों पर भी,फिर भी हँस कर बोले॥
छन्न पकैया छन्न पकैया,छोटे-छोटे बच्चे।
नहीं शिकायत रहती इनको,होते दिल के सच्चे॥
छन्न पकैया छन्न पकैया,पैरों पड़ते छाले।
देख गरीबी हालत इनकी,मुँह पर लगते ताले॥
छन्न पकैया छन्न पकैया,बच्चे खुश हो जाते।
मम्मी-पापा भाई-बहनें,अपने घर पर आते॥