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बचा लो इस वसुंधरा को

डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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स्वच्छ जमीन-स्वच्छ आसमान…

धरती माँ ने दिया है हमको
आशीर्वाद अपरंपार,
हरे-भरे वृक्ष देते
असंख्य अनमोल उपहार,
धान, सब्जी, फल और फूल
लकड़ी, जड़ी-बूटी, कपड़ा, खनिज,
शुद्ध वायु, ठंडी छाँव और आश्रय।

पहाडी़ झरने निर्मल जल दे
कल-कल बहती सरिता पूरन कर दे,
जीवन में अति महत्वपूर्ण जल
पहाड़ों की चोटियों पर हिम जम जाए,
लगे जैसे उतर आया पृथ्वी पर स्वर्ग।

सूर्य चन्द्रमा सितारे हर दिन,
अपनी रोशनी से जगमग कर दे
नभ को आलोकित वो कर दे,
जीवन में आशा की नई किरण भर दे
बिना थके एक क्षण।

स्वच्छ वातावरण में ही
मिल पाएगा उत्तम स्वास्थ्य,
पर्यावरण को स्वच्छ रखना
है हमारा नैतिक दायित्व,
बचाना और सँवारना है इसे
श्रम के छोटे बड़े प्रयत्नों से।

बचा लो इस वसुंधरा को,
प्रहार महाप्रलय और विनाश से
नहीं तो क्या दे सकेंगे हम,
अपनी अगली पीढ़ी को
न जल, न वायु, न अन्न॥

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