अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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बड़े मुखौटे,
है बदले मनुज-
सच्चे-झूठे से।
तोड़े यकीन,
कैसे बढ़े समाज-
साथ छोड़ के।
मत दो धोखा,
दो पल की जिंदगी-
कैसे चलेगी ?
साथ निभा ले
आनी-जानी साँसें हैं-
हाथ मिला ले।
कुछ ना मिले,
परिणाम है बुरा-
चल प्रगति।
बांटें खुशियाँ,
ऐसे हाथ न छोड़ो-
छोटी दुनिया।
रिश्ते दिल के,
खींचो बड़ी लकीर-
चलो मिल के।
रहे एकता,
कथनी हो करनी-
नीयत साफ।
द्वैष जलाओ,
अच्छाई से जग में-
हाथ मिलाओ।
कपट मिटे,
फैलाओ यूँ मुस्कान-
बुराई घटे।
कड़वी ज़ुबां,
प्रेम भरी गद्दारी-
खा जाते रिश्ते॥