सच्चिदानंद किरण
भागलपुर (बिहार)
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हस्ताक्षर से बदल जाते हैं,
कितने के ईमान और धर्म
पर बदलते नहीं,
एक सत्यता की
अमरत्व की अटूट,
अनुभवी कृतज्ञता की
अभिलेख पहचान।
कितने सपने बनते और टूटते हैं,
बनाने को अथक परिश्रम
की आहूति देनी पड़ती है
सदृढ़ आत्मनिर्भरता की कसौटी पर,
तब जा के समृद्ध होती
जीवन की सार्थकता।
विद्वान की विद्वता से,
मूर्खों की लोलुपता में
बस इतना ही अंतराल है,
निर्विकार संधि-साध्य की
ओर अवतरित होना
मानवीय अद्भुत अदृश्य शक्ति
से,
प्रेरित होकर ज्योतिर्मय में।
अस्थाई रूप में क्षणिक सुख की प्राप्ति तो है पर…॥
परिचय- सच्चिदानंद साह का साहित्यिक नाम ‘सच्चिदानंद किरण’ है। जन्म ६ फरवरी १९५९ को ग्राम-पैन (भागलपुर) में हुआ है। बिहार वासी श्री साह ने इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की है। आपके साहित्यिक खाते में प्रकाशित पुस्तकों में ‘पंछी आकाश के’, ‘रवि की छवि’ व ‘चंद्रमुखी’ (कविता संग्रह) है। सम्मान में रेलवे मालदा मंडल से राजभाषा से २ सम्मान, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ (२०१८) से ‘कवि शिरोमणि’, २०१९ में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ प्रादेशिक शाखा मुंबई से ‘साहित्य रत्न’, २०२० में अंतर्राष्ट्रीय तथागत सृजन सम्मान सहित हिंदी भाषा साहित्य परिषद खगड़िया कैलाश झा किंकर स्मृति सम्मान, तुलसी साहित्य अकादमी (भोपाल) से तुलसी सम्मान, २०२१ में गोरक्ष शक्तिधाम सेवार्थ फाउंडेशन (उज्जैन) से ‘काव्य भूषण’ आदि सम्मान मिले हैं। उपलब्धि देखें तो चित्रकारी करते हैं। आप विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य होने के साथ ही तुलसी साहित्य अकादमी के जिलाध्यक्ष एवं कई साहित्यिक मंच से सक्रियता से जुड़े हुए हैं।