कुल पृष्ठ दर्शन : 233

You are currently viewing बरसात…अभी आओ ना

बरसात…अभी आओ ना

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
******************************************

भरी बरसात का मौसम है,अभी जाओ ना,
यही तो प्यार का मौसम है,अभी जाओ ना।

जला रही है ये बूँदें सुनो अंतस मेरा,
मुझे यूँ छोड़ अकेले तो अभी जाओ ना।

घटाएं छा रही ये बिजलियाँ डराती हैं,
न जाओ छोड़ के यूँ,लौट के आ जाओ ना।

बिना तुम्हारे ये सावन मैं गुजारूँ कैसे,
जान ले लेगी ये बरसात,अभी जाओ ना।

बिना तुम्हारे तो इक पल भी जी नहीं लगता,
अभी तो बाकी हैं जज़्बात,अभी जाओ ना।

युगों के बाद आई ‌हूँ तुम्हारी बाँहों में,
आज जी भर के होंगी बात अभी जाओ ना।

हवाओ खूब चलो बादलों बरस जाओ,
आज रंगीन होगी रात,अभी जाओ ना॥

परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है

Leave a Reply