एम.एल. नत्थानी
रायपुर(छत्तीसगढ़)
***************************************
बर्फीले पहाड़ों पर ही,
सौंदर्य बिखरा पड़ा है
ऊंची चोटियों पर यह,
गर्व से उन्नत खड़ा है।
चारों ओर सफेदी की,
श्वेत धवल चाँदनी है
मानो भूगर्भ जलस्तर,
की पिघली चाशनी है।
सूरज की किरणों ने,
स्वर्ण चादर ओढ़ी है
बर्फीले तूफानों से ही,
सर्द हवाएं निगोड़ी है
रात मद्धिम रोशनी में,
ये बर्फीली सिलवटें है
प्रकृति की सुंदरता में,
ये सजीली करवटें है।
बर्फीले नजारों से दूर,
ये चंद्रमा मुस्काता है।
तारों की बारात देख,
ये अम्बर इठलाता है॥