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बिलासा महिमा

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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‘बिलासा’ बाई छत्तीसगढ़ की वीरांगना लड़की का नाम है,जिन्होंने महारानी लक्ष्मी बाई के समान ही अंग्रेजों से युद्ध किया। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध शहर बिलासपुर का नाम इसी वीरांगना के नाम पर है। 
बहुत पुरातन बात है,वही रतनपुर राज।
जहाँ बसे नर नारि वो,करते सुन्दर काज॥

केंवट लगरा गाँव के,कुशल परिश्रमदार।
कर आखेटन मत्स्य का,पालत स्व परिवार॥

तट देखन अरपा नदी,इक दिन पत्नी साथ।
पत्नी बैसाखा कही,लिए हाथ में हाथ॥

दोनों की थी कामना,सुन्दर हो सन्तान।
बैसाखा तो दे गई,कन्या का वरदान॥

सुन्दर सौम्य स्वरूप वो,दिया ‘बिलासा’ नाम।
पिता परशु हर्षित हुआ,देख बिलासा काम॥

बचपन बीता खेल में,शस्त्र कला की चाह।
मर्दानों-सी तेज वो,करे नहीं परवाह॥

साहस उनमें था भरा,शौर्य पराक्रमवान।
दुश्मन तो ठहरे नहीं,कोई वीर जवान॥

नाव चलाना तो उसे,देख लोग थर्राय।
सभी काम में दक्ष वो,युद्ध नीति अपनाय॥

अरपा की धारा प्रबल,रही बिलासा डूब।
बंशी जी ने थाम कर,दिया किनारा खूब॥

मधुर प्रेम का जन्म तब,अरपा नदी गवाह।
वरमाला विधि से हुआ,अदभुत हुआ उछाह॥

पहुँचे नृप इक दिन यहाँ,राज रतनपुर धाम।
अपने सैन्य समेत वो,आखेटक ले काम॥

प्यासा राजा प्यास से,तड़प उठा इक बार।
चल आये अरपा नदी,पाये थे सुख चार॥

फिर तो हिंसक भेड़िया,किया अचानक वार।
घायल कई सेना हुए,बहे रुधिर की धार॥

किया बिलासा वार तब,राजा प्राण बचाय।
हर्षित राजा थे हुए,सेवा से सुख पाय॥

हुए बिलासा गर्व तब,बंशी फूले समाय।
फैली चर्चा राज्य में,जहाँगीर तक जाय॥

बंशी दिल्ली चल दिए,गए बिलासा साथ।
सम्मानित दोनों हुए,मिला हाथ से हाथ॥

अरपा तट जागीर भी,दिए बिलासा राज।
बरछी तीर कमान से,करती थी वो काज॥

बना बिलासा गाँव जो,वो केंवट की शान।
नगरी बना बिलासपुर,है उन पर अभिमान॥

मल्ल युद्ध में अग्रणी,डरते थे अंग्रेज।
रहते थे भयभीत सब,छुप जाते थे सेज॥

तोड़ सुपारी हाथ से,करे अचम्भा खेल।
बगल दबा के नारियल,दिए निकाले तेल॥

लौह हाथ से मोड़ते,बाजीगर तलवार।
नींद बिलासा ने लुटी,मुगलों की सरकार॥

जहाँगीर दिल खोल के,कहा बिलासा मात।
सेनापति बन के लड़ो,लो दुश्मन प्रतिघात॥

मान बढ़ा कौशलपुरी,सेनापति बन आय।
वंश कल्चुरी शान को,दुनिया में फैलाय॥

अमर बिलासा हो चली,अदभुत साहस वीर।
केवट की बेटी वही,सहज सौम्य गम्भीर॥

गर्व निषाद समाज की,मर्यादा की खान।
ध्वजा वाहिका संस्कृति,नाम बिलासा मान॥

‘बोधन’ करत प्रणाम है,मातु बिलासा आज।
केवट कुल की स्वामिनी,किये पुण्य के काज॥

अरपा की इस धार को,देखूँ बारम्बार।
सुन्दर दमके चेहरा,चमक उठे हर बार॥

छत्तीसगढ़ी शान है,मातु बिलासा मान।
देखो आज बिलासपुर,है इसकी पहचान॥

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