कुल पृष्ठ दर्शन : 312

बुरा न मानो भाई होली है

वाणी बरठाकुर ‘विभा’
तेजपुर(असम)
*************************************************************

बुरा न मानो भाई होली है,
ये तो मस्तानों की टोली है।
हम भी कुछ लेकर आए हैं झोली में,
अरे भाइयों पहले रंग न लगाओ
एक मिनट के लिए रूक जाओ।
पुलवामा पर हुए शहीदों के लिए,
मौन श्रद्धांजलि अर्पित करो।
स्वाभिमान की पिचकारी में,
हृदय भाव का जल भरो॥

बुरा न मानो भाई होली है,
ये तो मस्तानों की टोली है।
हम भी कुछ लेकर आए हैं झोली में,
युवती कहती है रंग लगाओ
मगर सम्हालकर लगाओ।
मेक-अप खराब न हो देखना,
बाद में लेकर सेल्फी मेरा
फेसबुक पर भी है डालना॥

बुरा न मानो भाई होली है,
ये तो मस्तानों की टोली है।
हम भी कुछ लेकर आए हैं झोली में,
सिर पर टोपी-मास्क पहनकर
युवा टोली निकले जीन्स पहनकर।
क्या जमाना आया देखो देखो,
स्पीड में कैसे बाइक दौड़ाते देखो।
न होली पर बड़ों को प्रणाम,
न ही ठोंकते किसी और को सलाम॥

बुरा न मानो भाई होली है,
ये तो मस्तानों की टोली है।
हम भी कुछ लेकर आए हैं झोली में,
होली है त्योहार भाईचारे का।
बनाओ न वजह इसे बँटवारे का,
तूने मुझ पर क्यों रंग डाला है।
तूने क्यों चेहरा मेरा बिगाड़ा है,
लग जाते एक-दूसरे पर केस ठोंकने
भूल जाते हैं,सभी भाई हैं अपने॥

बुरा न मानो भाई होली है,
ये तो मस्तानों की टोली है।
हम भी कुछ लेकर आए हैं झोली में,
हम भी होली खेलते
पिचकारी संग रंग डालते।
मुँह पर उसके रंग लगाती,
होली पर अपनापन महकाती।
आजकल तो ऐसे खेलते हैं होली,
संग दूर-दूर के सब सखा सहेली।
दो दिन पूर्व ही सबको रंग भेजते,
सोशल मीडिया के द्वारा रंग भरते।
पास-पड़ोस,बुजुर्ग और परिवार को,
दूर रहकर देते शुभकामना उपहार को।
आओ आज हम ठान लें,
होली का असल अर्थ जान लें।
मानवता के साथ भाईचारा बनाएँ,
सदभावना के रंग से होली मनाएँ॥

परिचय:श्रीमती वाणी बरठाकुर का जन्म-११ फरवरी और जन्म स्थान-तेजपुर(असम)है। इनका साहित्यिक उपनाम ‘विभा’ है।  वर्तमान में शहर तेजपुर(शोणितपुर,असम)में निवास है। स्थाई पता भी यही है। असम प्रदेश की विभा ने हिन्दी में स्नातकोत्तर,प्रवीण (हिंदी) और रत्न (चित्रकला)की शिक्षा पाई है। इनका कार्यक्षेत्र-शिक्षिका (तेजपुर) का है। श्रीमती बरठाकुर की लेखन विधा-लेख,लघुकथा,काव्य,बाल कहानी,साक्षात्कार एवं एकांकी आदि है। प्रकाशन में आपके खाते में किताब-वर्णिका(एकल काव्य संग्रह) और ‘मनर जयेइ जय’ आ चुकी है। साझा काव्य संग्रह में-वृन्दा,आतुर शब्द तथा पूर्वोत्तर की काव्य यात्रा आदि हैं। आपकी रचनाएँ कई पत्र-पत्रिकाओं में सक्रियता से छपती रहती हैं। सामाजिक-साहित्यिक कार्यक्रमों में इनकी  सक्रिय सहभागिता होती है। विशेष उपलब्धि-एकल प्रकाशन तथा बाल कहानी का असमिया अनुवाद है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-नूतन साहित्य कुञ्ज है। इनकी विशेषज्ञता चित्रकला में है। माँ सरस्वती की कृपा से आपको सारस्वत सम्मान (कलकत्ता),साहित्य त्रिवेणी(कोलकाता २०१६),सृजन सम्मान(पूर्वोत्तर हिंदी साहित्य अकादमी,तेजपुर २०१७), महाराज डाॅ.कृष्ण जैन स्मृति सम्मान (शिलांग),बृजमोहन सैनी सम्मान (२०१८) एवं सरस्वती सम्मान(दिल्ली) आदि मिल चुके हैं। एक संस्था की अध्यक्ष संस्थापिका भी हैं। आपकी रुचि-साहित्य सृजन,चित्रकारी,वस्त्र आकल्पन में है। आप सदस्य और पदाधिकारी के रुप में कई साहित्यिक संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी द्वारा सम्पूर्ण भारतवर्ष एक हो तथा एक भाषा के लोग दूसरी भाषा-संस्कृति को जानें,पहचान बढ़े और इससे भारत के लोगों के बीच एकता बनाए रखना है। 

Leave a Reply