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बेटी की गरिमा

सुशीला रोहिला
सोनीपत(हरियाणा)
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बेटी आन-बान-शान है,
बेटी से विश्व महान है।

वात्सल्य रस में भी बेटी,
माता-पिता का रखती ख्याल
नन्हें-नन्हें हाथों से,
पिता को पानी देती
नन्हें-नन्हें हाथों से,
माता का आँगन सखेरती।

किशोर अवस्था है बड़ी निराली,
विद्यालय है जाने की तैयारी
रसोई में माँ का साया बन,
दुख-दर्द सब बाँट लेती
माँ की परछाई बन,
सबका रखती ध्यान।

बेटी पढ़-लिख खेल-कूद कर,
विश्व में कमाती नाम
विश्व में बनी तिरंगे की शान,
देश को मिली नई पहचान
बेटी ऑटो रिक्शा,वायुयान चलाती,
अंतरिक्ष यान तक उड़ाती
रणचण्डी बन शत्रु का करे स॔हार।

पति की परछाई बन साथ निभाती,
जननी बन कर माँ कहलाती
पहले सबको परोसे, पीछे खुद खाती,
बेटी गृहलक्ष्मी होकर काज संवारेे
सास-ससुर बहु नहीं,बेटी अपनाएं।

माता-पिता का सौभाग्य बन जाती,
सत्य की पताका लेकर विश्व में लहराती
जग जननी राज -राजेश्वरी कहलाती,
मंत्री बन देश का भार उठाती
राष्ट्र-भक्ति की ज्वाला बन धधकती,
कुल उज्ज्वल कर सदभावना का
प्रकाश चहूँदिशी फैलाती।

माता-पिता का दाह संस्कार भी करतीं,
बेटी माता-पिता के दिल में बसती
बेटी बोझ नहीं,सौभाग्य है,
बेटी ही भारतमाता का आधार हैै॥

परिचय-सुशीला रोहिला का साहित्यिक उपनाम कवियित्री सुशीला रोहिला हैl इनकी जन्म तारीख ३ मार्च १९७० और जन्म स्थान चुलकाना ग्राम हैl वर्तमान में आपका निवास सोनीपत(हरियाणा)में है। यही स्थाई पता भी है। हरियाणा राज्य की श्रीमती रोहिला ने हिन्दी में स्नातकोत्तर सहित प्रभाकर हिन्दी,बी.ए., कम्प्यूटर कोर्स,हिन्दी-अंंग्रेजी टंकण की भी शिक्षा ली हैl कार्यक्षेत्र में आप निजी विद्यालय में अध्यापिका(हिन्दी)हैंl सामाजिक गतिविधि के तहत शिक्षा और समाज सुधार में योगदान करती हैंl आपकी लेखन विधा-कहानी तथा कविता हैl शिक्षा की बोली और स्वच्छता पर आपकी किताब की तैयारी चल रही हैl इधर कई पत्र-पत्रिका में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका हैl विशेष उपलब्धि-अच्छी साहित्यकार तथा शिक्षक की पहचान मिलना है। सुशीला रोहिला की लेखनी का उद्देश्य-शिक्षा, राजनीति, विश्व को आतंकवाद तथा भ्रष्टाचार मुक्त करना है,साथ ही जनजागरण,नारी सम्मान,भ्रूण हत्या का निवारण,हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनाना और भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान प्रदान करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-हिन्दी है l आपकी विशेषज्ञता-हिन्दी लेखन एवं वाचन में हैl

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