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बोलते रहिए

बबीता प्रजापति 
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
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कुछ हाल ए दिल अपना भी
सुनाते रहिए,
खामोशियों के समंदर में
गोते क्यों लगाते हो
वहम आइनों के
बताते रहिए।

सुना है हमने
खामोशियों से,
डूब जाते हैं सारे रिश्ते
लफ़्ज़ों में घोल के मिठास
चखाते रहिए,
बोलते रहिए
बताते रहिए…।

हदों में रहके भी
निभते हैं सारे रिश्ते,
खींचकर लक्ष्मण रेखा
रिश्ते अपने बचाते रहिए
बोलते रहिए,
बताते रहिए…।
कुछ अपने दिल की भी
सुनाते रहिए॥