श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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कैसे दिखाऊॅ॑ दिल का दर्द, भरा हुआ नयन का गागर,
ऐसे उमड़ रहे हैं आँसू, उमड़ता है जल-जैसे सागर।
जग में कोई नहीं बोझ उठाएगा, नयन भरी गागर को,
बढ़ते कदम रोक लेगा, देखते नयन भरी गागर को।
जिसके कारण यह भरी है, हमारे नयन की गागर,
आकर कभी पूछा नहीं अजनबी, क्यों भरी है गागर।
यह चुभन, यह दर्द, कभी मिटने वाला ही नहीं है,
दे गया दर्द का आँसू, ओ दिखने वाला ही नहीं है।
प्रेम रतन धन से भर दिया था, ओ हमारा आँचल,
ले गया वापस साथ में, बहा गया आँखों का काजल।
आँखों से छलक रही है मेरी, देखो भरी हुई गगरिया,
बोला था मिलने आऊंगा, छोड़ गया बीच डगरिया।
मोल नहीं लगाया कभी, नयन भरी मेरी दो गागर का,
एक बार मिलन हो जाए, सूख जाएगा जल गागर का।
सुनो सखी प्रीत नहीं करना, कोई आफ़ताब परदेसी से।
परदेसी सौदागर है, दिल का सौदा ना करना परदेसी से॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |