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भविष्य बनाते शिक्षक

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’
मोहाली(पंजाब)

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ज्ञान का दीपक जलाकर अंधकार मिटाया,
नवीन ऊर्जा देकर हमको चलना सिखाया।
शिक्षक इस धरा के सर्वश्रेष्ठ महापुरुष हैं,
जिन्होंने हमें जीवन का नया मार्ग दिखायाll

हिमालय से ऊंचा कद सागर इतना ज्ञान,
शिक्षा पर केन्द्रित करते हमारा पूर्ण ध्यान।
शिक्षक ही संचालक हैं हमारे जीवन के,
जिनसे ही संचालित होता है सारा जहानll

प्रगति के कुशल कारीगर जिनसे ही बने,
जिन्होंने युग निर्माण के बीज बोए हैं घने।
सिखाया है जिन्होंने हमें परिश्रम करना,
उनसे सीखे हैं हम चबाना लोहे के चनेll

अपने परिश्रम से देश का भविष्य बनाते,
अपने नये प्रयासों से नई फसल उगाते।
सारी थकान जिनसे मीलों दूर रहती है,
एक बार ही नहीं,हमें अनंत बार समझातेll

करते-करते काम बन जाते तुम कलाकार,
देश के पावन सपनों को करते साकार।
सूरज से भी तेज ज्ञान जो नहीं होता अस्त,
विस्तृत है तुम्हारे महान ज्ञान का आकारll

जिनमें बहती नदियों-सा बहता प्यार है,
संसार में सबसे ऊंचा जिनका दरबार है।
जीवन संवर जाए जिस पर ये भेरे हाथ,
जो स्वयं शिलालेख हैं,नहीं अखबार हैll

परिचय-प्रेमशंकर का लेखन में साहित्यिक नाम ‘नूरपुरिया’ है। १५ जुलाई १९९९ को आंवला(बरेली उत्तर प्रदेश)में जन्में हैं। वर्तमान में पंजाब के मोहाली स्थित सेक्टर १२३ में रहते हैं,जबकि स्थाई बसेरा नूरपुर (आंवला) में है। आपकी शिक्षा-बीए (हिंदी साहित्य) है। कार्य क्षेत्र-मोहाली ही है। लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और कविता इत्यादि है। इनकी रचना स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले नूरपुरिया की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक कार्य एवं कल्याण है। आपकी नजर में पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय कमलेश्वर,जैनेन्द्र कुमार और मोहन राकेश हैं। प्रेरणापुंज-अध्यापक हैं। देश और हिंदी के प्रति विचार-
‘जैसे ईंट पत्थर लोहा से बनती मजबूत इमारत।
वैसे सभी धर्मों से मिलकर बनता मेरा भारत॥
समस्त संस्कृति संस्कार समाये जिसमें, वह हिन्दी भाषा है हमारी।
इसे और पल्लवित करें हम सब,यह कोशिश और आशा है हमारी॥’

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