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भाषाओं के लिए जंतर-मतर पर धरने की रणनीति बनाई बैठक में

नई दिल्ली।

भारत के संविधान से ‘इंडिया’ शब्द को हटाकर केवल भारत रखे जाने शिक्षा, रोजगार व न्याय भारतीय भाषाओं में दिए जाने और हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने को लेकर २२ सितंबर रविवार को ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ और ‘जनता की आवाज फाउंडेशन’ द्वारा जंतर-मंतर पर आयोजित जागृति-अभियान और धरने की रूपरेखा तैयार करने के लिए आर्य समाज भवन जोरबाग (नई दिल्ली) में बैठक रखी गई। अध्यक्षता सुप्रसिद्ध भाषा-सेनानी डॉ. वेद प्रताप वैदिक ने की।
बैठक के प्रारंभ में सम्मेलन के निदेशक तथा फाउंडेशन के राष्ट्रीय सचिव डॉ. मोतीलाल गुप्ता ‘आदित्य’ द्वारा रखी जाने वाली मांगों के औचित्य और आवश्यकता के संबंध में जानकारी दी गई। यह तय हुआ कि भारत और भारतीय भाषाओं के इस जागृति-अभियान के अंतर्गत जंतर-मंतर के धरने का विश्वभर में अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार किया जाएगा और समाज के सभी समुदायों को इसमें अधिक से अधिक जोड़ा जाए।
बैठक में उपस्थित राजस्थान संस्था संघ के अध्यक्ष सुरेश खंडेलवाल ने बताया कि, अभियान व धरने में राजस्थानी समाज की बड़ी संख्या में सहभागिता होगी। हंसराज कॉलेज के प्रो. डॉ. सुधांशु शुक्ल ने कहा कि इस आयोजन में बड़ी संख्या में विद्यार्थी और प्राध्यापक भी सम्मिलित होंगे। सुरेश शर्मा, शिक्षाविद् व समाजसेवी डॉ. शंकर गोयनका, समाजसेवी नवरत्न अग्रवाल, प्रो. विद्या प्रसाद मिश्र, इंटरनेशनल चैंबर ऑफ स्टार्ट-अप्स के अध्यक्ष रविंद्र जैन सहित भाषा-सेवी डॉ. राकेश पांडे आदि ने कहा कि भाषा और साहित्य जगत के महत्वपूर्ण लोग अभियान में शामिल होंगे।
बैठक के संयोजक डॉ. आदित्य ने बताया कि, धरने में वरिष्ठ पत्रकार राहुलदेव, कवि अशोक चक्रधर, बुद्धिनाथ मिश्र सहित अनेक बड़े साहित्यकार एवं अधिवक्तगण शामिल होंगे।
अध्यक्षता कर रहे डॉ. वैदिक ने बताया कि, इस अभियान में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहेंगे तथा राजनीति व राष्ट्रीय कार्यों से जुड़ी संस्थाओं के प्रमुख व्यक्ति एवं कार्यकर्ता और टीवी सिनेमा जगत के लोग भी भाषाओं के लिए भारत और भारतीय भाषाओं को भी इस आयोजन से जोड़ा जाएगा।

(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुम्बई)

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