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भीषण गर्मी

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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तपे नगर सब गाँव, सूरज आतिश बन गया।
ढूँढ रहे सब छाँव, जीवों में अकुलाहटें॥

बिलख रहा इंसान, लू चलती है गति लिए।
देखो सारी आन, नदियों से तो छिन गई॥

आतंकित हर एक, चाबुक सड़कों पर चले।
नहीं इरादे नेक, दिनकर के तो आजकल॥

शीतलता का मान, कूलर,पंखे हँस रहे।
सबसे नव सम्मान, मटकों ने पाया सतत॥

बरस रही है आग, किरणें ना किरणें लगें।
लो तुम बचकर भाग, बचना जो चाहो अगर॥

बिरथा ऊनी वस्त्र, कम्बल अब बेकार सब।
बनकर नित ही शस्त्र, किरणें हमले कर रहीं॥

तन से नित ही स्वेद, नीर सरीखा बह रहा।
हर इक जन को खेद, इस मौसम में हो रहा॥

जिनसे निकले शीत, पेड़ लग रहे हैं सुखद।
सुन लो मेरे मीत, बिन ठंडक हम कष्ट में॥

दिन बरसाता आग, सुबह हमें लगती भली।
आतप का तो नाग, नित जी-भर फुँफकारता॥

देखे मानव राह, नीर गिरे आकाश से।
पल-पल दिल से आह, निकल रही है आज तो॥

बढ़ता जाता ताप, मुश्किल जीना हो गया।
कौन सकेगा माप, गर्मी का आतंक नित॥

गर्मी का संताप, जीव सभी अकुला रहे।
कैसा है यह शाप, पीड़ित है दुनिया बहुत॥

दिनकर का यह रूप, कष्ट भरा हमको लगा।
अखरे तीखी धूप, कौन करे रक्षा यहाँ॥

सूख गया जल आज, प्यासे सब पंछी हुए।
हुआ पीर का राज, हांप रहे इंसान सब॥

गर्म हवाएं आज, बेशर्मी दिखला रहीं।
मुश्किल करना काज, मौसम बिगड़ा जा रहा॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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