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मजे में हूँ…

क्रिश बिस्वाल
नवी मुंबई(महाराष्ट्र)
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घुटने बोलते हैं
लड़खड़ाता हूँ,
छत पर
रेलिंग पकड़कर जाता हूँ,
दाँत कुछ ढीले हो चले
रोटी डुबा कर खाता हूँ,
वो आते नहीं
बस फोन पर पूछते हैं-
कि कैसा हूँ ?
बड़ी सादगी से कहता हूँ-
मजे में हूँ,मजे में हूँ।

दिखता है सब
पर वैसा नहीं दिखता,
लिखता हूँ सब
पर वैसा नहीं लिखता,
आसमान और आँखों के बीच अब
कुछ बादल सा है दिखता,
पढ़ता हूँ अखबार
पर कुछ याद नहीं रहता,
डॉक्टर के सिवाय
किसी और से
कुछ नहीं कहता,
पूछते हैं लोग तबियत
बड़ी सादगी से कहता हूँ-
मजे में हूँ,मजे में हूँ।

कभी दो रंगी मोजे
जूतों में हो जाते हैं,
कभी बढ़े हुऐ नाखून
यकायक चश्मे से,
किसी महफिल में दिखाई देते हैं
फिर अचकचा कर,
उनको छुपाता हूँ
कभी बीस व तीस,
का अन्तर
सुनाई नहीं देता,
बहुत से काम
अब अंदाजे से कर लेता हूँ
कोई कभी,
पूछ लेता है
कहाँ हूँ कैसा हूँ,
हँस कर कह देता हूँ-
मजे में हूँ मजे में हूँ।

बीत गया है लंबा सफर
पर इंतज़ार बाकी है,
हासिल कर ली हैं मंज़िलें
पर प्यास अभी बाकी है,
ख़ुद तो दौड़ सकता नहीं
अब अपनों में बाज़ी लगाता हूँ,
ठहर गई हैं यादें
पुरानी बातें सुनाता हूँ,
क्या मज़ा है जिंदगी का
उनके जबाब का इंतज़ार अभी बाकी है,
ये दिल है कि मानता नहीं
अब भी धड़कता वैसे ही है,
बूढ़ा तो हो चुका है
पर मानता नहीं,
शरीर दुखता है
पर आँखों की शरारत जारी है।
इसलिए तो बार-बार कहता हूँ,
मजे में हूँ मजे में हूँ॥

परिचय-क्रिष बिस्वाल का साहित्यिक नाम `ओस` है। निवास महाराष्ट्र राज्य के जिला थाने स्थित शहर नवी मुंबई में है। जन्म १८ अगस्त २००६ में मुंबई में हुआ है। मुंबई स्थित अशासकीय विद्यालय में अध्ययनरत क्रिष की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति की भावना को विकसित करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैं। काव्य लेखन इनका शौक है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।’

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