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मदद के पंख कैसे जलते

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ 
मनावर(मध्यप्रदेश)
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दुःख की परिभाषा,
भूखे से पूछो
या जिनके पास पैसा नहीं हो,
उससे पूछो
अस्पताल में बीमार के,
परिजन से पूछो
बच्चों की फ़ीस भरने का,
इंतजाम करने वालों से पूछो
लड़की की शादी के लिए
इंतजाम करने वालों से पूछो।

जब ऐसे इंतजाम,
सर पर आ खड़े हों
कविताएं अपनी,
खोल में जा दुबकती है
मैदानी मुकाबले किताबी अक्षरों में,
हो जाती बेसुध
मदद की कविता,
जब अपनों से गुहार करती
तब मदद के पंख या तो,
जल जाते या फिर कट जाते।

क्या ता-उम्र तक,
इंसान ऋणी के रोग से
पीड़ित होता है,
हाँ, होता है ये सच है
क्योंकि, सच हमेशा,
कड़वा और सच होता
अपने भी मुँह मोड़ लेते।

ये भी सच है कि,
इंसान के पास
पैसा होना चाहिए,
पूछ-परख होती है
पैसा है तो इंसान की,
पूछ-परख
नहीं तो मदददगार,
पहले ही भिखारी का भेष
पहनकर घूमते।

पैसा है तो आपकी बखत,
नहीं तो रिश्ते भी
बैसाखियों पर टिक जाते,
दुनिया में इंसान ने अपनी राह,
स्वयं को चुनना
सलाह सबकी,
मगर करना मन की
नहीं तो कर्ज की गर्त में,
दुखों से खुशियों को
निकलते किसी ने,
आज तक नहीं देखा।

भाग्य के ख्वाब,
बस सपनों तक ही सीमित
क्योंकि, कर्ज देना स्वयं को देना,
और उधार मांगते वक्त
लोग आपसे भी गरीब,
बन जाते हैं।
बस सोच ये रखना,
‘जितनी चादर, उतने पाँव
पसारना’॥

परिचय-संजय वर्मा का साहित्यिक नाम ‘दॄष्टि’ है। २ मई १९६२ को उज्जैन में जन्में श्री वर्मा का स्थाई बसेरा मनावर जिला-धार (म.प्र.)है। भाषा ज्ञान हिंदी और अंग्रेजी का रखते हैं। आपकी शिक्षा हायर सेकंडरी और आयटीआय है। कार्यक्षेत्र-नौकरी( मानचित्रकार के पद पर सरकारी सेवा)है। सामाजिक गतिविधि के तहत समाज की गतिविधियों में सक्रिय हैं। लेखन विधा-गीत,दोहा,हायकु,लघुकथा कहानी,उपन्यास, पिरामिड, कविता, अतुकांत,लेख,पत्र लेखन आदि है। काव्य संग्रह-दरवाजे पर दस्तक,साँझा उपन्यास-खट्टे-मीठे रिश्ते(कनाडा),साझा कहानी संग्रह-सुनो,तुम झूठ तो नहीं बोल रहे हो और लगभग २०० साँझा काव्य संग्रह में आपकी रचनाएँ हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में भी निरंतर ३८ साल से रचनाएँ छप रहीं हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में देश-प्रदेश-विदेश (कनाडा)की विभिन्न संस्थाओं से करीब ५० सम्मान मिले हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले संजय वर्मा की विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-मातृभाषा हिन्दी के संग साहित्य को बढ़ावा देना है। आपके पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,तो प्रेरणा पुंज-कबीर दास हैंL विशेषज्ञता-पत्र लेखन में हैL देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-देश में बेरोजगारी की समस्या दूर हो,महंगाई भी कम हो,महिलाओं पर बलात्कार,उत्पीड़न ,शोषण आदि पर अंकुश लगे और महिलाओं का सम्मान होL