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यह ‘स्वतंत्रता दिवस’ कहलाता

दृष्टि भानुशाली
नवी मुंबई(महाराष्ट्र) 
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स्वतंत्रता दिवस विशेष ……..

हमारी धड़कती साँसें आज हैं केवल उनके कारण,
सीना ठोक कर जिन्होंने किए थे बंद अपने नयन।

१५ अगस्त को हर साल यह दिन है आता,
जब मिली थी हमें आज़ादी,यह ‘स्वतंत्रता दिवस’ कहलाता।

केसरिया,सफेद और हरे रंगों की शान यह बढ़ाता,
अशोक चक्र को धारण किए,हमारा ‘तिरंगा’ है लहराता।

जन-गन-मन का गान हो,या ‘वंदे मातरम’ के नारे,
पूरे जोश और उल्लास से यह पर्व मनाते हम सारे।

हाँ,घिर आए हैं कुछ समय से मुश्किलों में हम,
मुश्किलों का क्या वे तो आती और जाती हैं।

इस दौर को भी हँस कर यूँ बिता देंगे,
फहरा विजय का पताका,विश्व में नया इतिहास रचा देंगे।

भ्रष्टाचार और बेरोजगारी से भी मुक्ति पाएँगे,
जब सभी भारतीय एकसाथ अपने कदम बढ़ाएँगे।

अनेक शहीद के बलिदानों को हम यूँ व्यर्थ न जाने देंगे,
आओ,सब मिलकर अपने सपनों के भारत का नव इतिहास रचाएंगे॥

परिचय-दृष्टि जगदीश भानुशाली मेधावी छात्रा,अच्छी खिलाड़ी और लेखन की शौकीन भी है। इनकी जन्म तारीख ११ अप्रैल २००४ तथा जन्म स्थान-मुंबई है। वर्तमान पता कोपरखैरने(नवी मुंबई) है। फिलहाल नवी मुम्बई स्थित निजी विद्यालय में अध्ययनरत है। आपकी विशेष उपलब्धियों में शिक्षा में ७ पुरस्कार मिलना है,तो औरंगाबाद में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हुए फुटबाल खेल में प्रथम स्थान पाया है। लेखन,कहानी और कविता बोलने की स्पर्धाओं में लगातार द्वितीय स्थान की उपलब्धि भी है,जबकि हिंदी भाषण स्पर्धा में प्रथम रही है।

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