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मन

गरिमा पंत 
लखनऊ(उत्तरप्रदेश)

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मन चंचल है
तू इतना बेचैन क्यों है मन,
किस और भटक रहा है मन…
घूम रहा है सपनों के संसार में ए मन,
लौट कर आजा उस दुनिया से इस दुनिया में।
जहां निराशा है अंधकार है
उस और चलें ए मन,
जहां सूरज का प्रकाश हो
हर तरफ हरियाली हो,
मन ही हराता है,मन ही जिताता है।
तो क्यों उलझा है व्यर्थ में मन
तुझे मजबूत होना होगा ए मन,
दु:ख-दर्द की काली रात को हटाना होगा
सबके चेहरे पर हो हँसी,
ऐसा काम करना होगा।
तू बहुत चंचल है मन
सपनों की दुनिया से हकीकत की दुनिया में आओ,
जब तक जीवन है तब तक संघर्ष है
संघर्षों से क्या घबराना,
आशा के दीप जलाना।
तू व्यर्थ में बेचैन है मन
चलो सबके जीवन में प्रकाश भर दें,
सभी के चेहरों पर खुशियों के रंग भर देंll

परिचय-गरिमा पंत की जन्म तारीख-२६ अप्रैल १९७४ और जन्म स्थान देवरिया है। वर्तमान में लखनऊ में ही स्थाई निवास है। हिंदी-अंग्रेजी भाषा जानने वाली गरिमा पंत का संबंध उत्तर प्रदेश राज्य से है। शिक्षा-एम.बी.ए.और कार्यक्षेत्र-नौकरी(अध्यापिका)है। सामाजिक गतिविधि में सक्रिय गरिमा पंत की कई रचनाएँ समाचार पत्रों में छपी हैं। २००९ में किताब ‘स्वाति की बूंदें’ का प्रकाशन हुआ है। ब्लाग पर भी सक्रिय हैं।

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