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ममता की कहानी

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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धन्य हैं पिता राजा दशरथ जी,
जिनके पुत्र हैं श्री राम
श्री राम के जन्म होते ही,
अयोध्या हो गया तीर्थ धाम।

यदि राजा दशरथ जी के पुत्र,
कहाते हैं श्री राम भगवान
सन्त कहते हैं, तब तो पिता, की महानता होगी महान।

भाग्यशाली हैं श्री दशरथ पिता,
भगवान को गोद में खिलाए हैं
धन्य है गुरु महर्षि वशिष्ठ,
जो खुद भगवान् को पढ़ाए हैं।

बहुत बड़ा भाग्य है आपका,
राम की माता कौशल्या रानी।रामायण बाल कांड में लिखी है,
ऐसी अनूठी ममता की कहानी॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |