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माँ का वचन

आरती जैन
डूंगरपुर (राजस्थान)
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मातृ दिवस स्पर्धा विशेष…………


माँ हूँ मैं तेरा
एक जिंदा अंग,
नहीं दूंगी तुझे
आँसू का संग।

जब मेरी इन आँखों
का काजल है बिखरा,
मैंने याद रखा तुझसे मेरी
खुशी का रंग है निखरा।

मैं सूखे में और तू
गीले में हर रात सोती है,
खुद को इसलिए रोका
भले मॆरी हर रात रोती है।

नहीं दे सकती किसी
को मैं माँ उपमा तेरी,
उपमा तो उपमा होती है
बताया बदलती स्थति ने मॆरी।

कदम अपने कभी
मत तुम बहकाना,
खुशी से हमेशा माँ
का आँगन महकाना।

जिन्हें नहीं मिलता
माँ का प्यारा साया,
कब्र में भी तन्हाई के
संग सोती है उनकी काया।

मानती हूँ सच्चा यार
दहलीज पर खड़ा है,
पर माँ की कोख के
वादे से क्या कोई बड़ा है।

सबसे और रब से भी
ऊपर है मेरी प्यारी माई,
माफ करना माँ के आगे
तुझे भी भूलती हू मेरे साईं॥

परिचय : श्रीमती आरती जैन की जन्म तारीख २४ नवम्बर १९९० तथा जन्म स्थली उदयपुर (राजस्थान) हैl आपका निवास स्थान डूंगरपुर (राजस्थान) में हैl आरती जैन ने एम.ए. सहित बी.एड. की शिक्षा भी ली हैl आपकी दृष्टि में लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई को दूर करना हैl आपको लेखन के लिए हाल ही में सम्मान प्राप्त हुआ हैl अंग्रेजी में लेखन करने वाली आरती जैन की रचनाएं कई दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में लगातार छप रही हैंl आप ब्लॉग पर भी लिखती हैंl

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