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जीवन दर्पण माँ

प्रभावती श.शाखापुरे
दांडेली(कर्नाटक)
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मातृ दिवस स्पर्धा विशेष…………

माँ का रूप,
रूप बेटी का छोड़कर आती माँ।
बाँहों को फैलाकर बुलाती माँ,
साया बन जाती है तेज धूप में…
याद बहुत तेरी आती है माँ।

ममता की मूरत हैं माँ,
त्याग की सूरत है माँ।
है तू प्यारी-सी लोरी की थाप,
परमात्मा का अक्स है माँ।

मरूस्थल में उपजी मीठी झील माँ,
फूलों की सुंदर खुशबू है माँ।
जीवन में साया है दुआओं का,
तुझ बिन भावना अधूरी है माँ।

जीवन की पहली पाठशाला माँ,
जीवन की कड़वाहट में अमृत माँ।
अधूरी तुझ बिन सृष्टि की कल्पना,
मेरे जीवन का दर्पण है माँ॥

परिचय-प्रभावति श.शाखापुरे की जन्म तारीख २१ जनवरी एवं जन्म स्थान-विजापुर है। वर्तमान तथा स्थाई पता दांडेली, (कर्नाटक)ही है। आपने एम.ए.,बी.एड.,एम.फिल. और पी.एच-डी. की शिक्षा प्राप्त की है। कार्य क्षेत्र-प्रौढ़ शाला में हिंदी भाषा की शिक्षिका का है। इनकी लेखन विधा-तुकांत, अतुकांत,हाईकु,कहानी,वर्ण पिरामिड, लघुकथा,संस्मरण और गीत आदि है। आपकी विशेष उपलब्धि-श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान मिलना है। श्रीमती शाखापुरे की लेखनी का उद्देश्य-कलम की ताकत से समाज में प्रगति लाने की कोशिश,मन की भावनाओं को व्यक्त करना,एवं समस्याओं को बिंबित कर हटाने की कोशिश करना है। 

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