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माँ मेरी माँ

निशा गुप्ता 
देहरादून (उत्तराखंड)

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मातृ दिवस स्पर्धा विशेष…………

माँ मेरे जीवन की तुम फुलवारी हो,
खुशियां सदा ही लुटाती रही होl
मुस्कुराहट चेहरे पे लाती रही हो,
होती है कठनाई क्या जीवन की
हमें इससे सदा बचाती रही हो।

जीवन को बिताना है एक साधना,
प्यार से हमें ये सिखाती रही होl
कर्म पथ हो अपना सदा ही सरल,
सरलता से इसको बिताती रही हो।

दे ईश्वर हमें भी सतत ज्ञान इतना,
जो सीखा है तुमसे धरें ध्यान इतना
जीवन में हम भीे करें उसको धारण,
बनें आपसे हम सदा सच्चे निर्मल।

हो महारानी आप पिता के भवन की,
राज माता हो तुम हमारे चमन कीl
सदा रखना स्नेहाशीर्वाद अपना,
हैं बालक तुम्हारे हम थोड़े अज्ञानी।

कर जाते जीवन में जब कुछ नादानी,
दिखाना राह हमें तब अपने अनुभवों कीl
माँ जीवन सरल है सरलता से तुम्हारी,
नहीं कोई चाहत बेवजह-सी तुम्हारी।

कमी में भी भरपूर दिया आनंद हमको,
नहीं जानी हमने ये कला थी तुम्हारी।
रही राजरानी-सी बनकर हमेशा,
हमेशा ही रखा बना मुझको राजकुमारी॥

परिचय-निशा गुप्ता की जन्मतिथि १३ जुलाई १९६२ तथा जन्म स्थान मुज़फ्फरनगर है। आपका निवास देहरादून में विष्णु रोड पर है। उत्तराखंड राज्य की निशा जी ने अकार्बनिक रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर किया है। कार्यक्षेत्र में गृह स्वामिनी होकर भी आप सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत श्रवण बाधित संस्था की प्रांतीय महिला प्रमुख हैं,तो महिला सभा सहित अन्य संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। आप विषय विशेषज्ञ के तौर पर शालाओं में नशा मुक्ति पर भी कार्य करती हैं। लेखन विधा में कविता लिखती हैं पर मानना है कि,जो मनोभाव मेरे मन में आए,वही उकेरे जाने चाहिए। निशा जी की कविताएं, लेख,और कहानी(सामयिक विषयों पर स्थानीय सहित प्रदेश के अखबारों में भी छपी हैं। प्राप्त सम्मान की बात करें तो श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान,विश्व हिंदी रचनाकार मंच, आदि हैं। कवि सम्मेलनों में राष्ट्रीय कवियों के साथ कविता पाठ भी कर चुकी हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य- मनोभावों को सूत्र में पिरोकर सबको जागरुक करना, हिंदी के उत्कृष्ट महानुभावों से कुछ सीखना और भाषा को प्रचारित करना है।

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