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समय की किसको खबर…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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अगले समय की किसको खबर है।
पर उम्रभर की सबको फिकर है।
मिट कर रहेगा जीवन जगत में,
सब जानते पर किसको असर है॥

ऊँचा गगन से खुद को उठाओ,
पर दूसरों को भी मत गिराओ।
हो एक-दूजे का मान सबसे,
हर जिन्दगी को मिलकर सजाओ।
भगवान को तो सबकी खबर है,
हर साॅंस धड़कन पर भी नजर है॥
अगले समय की…

धरती समंदर अपने जगत के,
किरणें पवन हैं इनके रहट से।
बरसात नदियाँ दें नीर जग को,
फिर क्यों रहें हम खुद में सिमट के।
इस सृष्टि से ही सबकी उमर है,
सब जानते पर किसको कदर है॥
अगले समय की…

अनुभव बढ़ेंगे जीवन घटेगा,
जो वक्त गुजरा वो ना मिलेगा।
दस्तूर हैं कुछ उनको निभा लो,
घट भी गया तो जीवन सजेगा।
जीवन सभी का बस इक सफर है,
सजती यहीं पर हर रहगुजर है॥
अगले समय की…
(इक दृष्टि इधर भी:रहट= सिंचाई का एक साधन)

परिचय–हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।