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मानवता रखो

अलका जैन
इंदौर(मध्यप्रदेश)

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अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी दिवस विशेष………..

गृह युद्ध ने कर दिया परेशान दोस्तों,
बैचेनी बढ़ती जा रही चारों ओर दोस्तों।

हर पल मौत का खतरा मंडराता रहे,
औलाद का भविष्य चूर-चूर कर रहे।

राजनीति की बिगड़ी ऐसी चाल ये,
खून-खराबा,हिंसा का बोलबाला ये।

दाने-दाने को अपने देश में मोहताज,
अपने ही देश में बेगाने बन गए हम।

किसी सूरत नहीं मिला अनाज हाय,
तब शरणार्थी बन चल पड़े परदेश।

पहेली जिंदगी की सुलझाने वास्ते,
परदेशी पुकारे शरणार्थी-शरणार्थी।

जिंदगी बोझ बनी अपनी गुजरे नहीं,
औलाद की खातिर जी रहे साथियों।

कौड़ी-कौड़ी को मोहताज हम लोग,
मानवता रखो कुछ तो यार दोस्तों।

राहत दो थोड़ी बहुत इंसान हम भी,
शरणार्थी की मदद करो सब मिलकर॥

परिचय-अलका जैन का निवास इंदौर(मध्यप्रदेश) में हैl इनकी जन्म तिथि ८ अक्तूबर १९५७ और जन्म स्थान धार(मप्र) हैl स्थाई रूप से शहर इंदौर में सी बसी हुई अलका जैन का कार्यक्षेत्र भी इंदौर ही हैl आप सामाजिक गतिविधियों के अन्तरगत विधवा विवाह करवाने,हास्य-कवि सम्मेलन,नृत्य कला आदि में सक्रिय रहती हैंl आप काव्य सहित विभिन्न विधाओं में लेखन करती हैंl १९८० से सतत लिखने में सक्रिय अलका जैन को हिन्दी भाषा का ज्ञान हैl प्रकाशन में उपन्यास-पामेला है तो रचनाओं का प्रकाशन लेख,ग़ज़ल,गीत,कहानी आदि के रूप में पत्र पत्रिकाओं में हुआ हैl इनके खाते में सम्मान के रूप में श्रीलाल शुक्ल स्मारक राष्ट्रीय संगोष्ठी समिति(हैदराबाद) से मान सहित मालवा रत्न, गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड और विभिन्न संगठनों द्वारा सम्मान आदि हैl इनकी विशेष उपलब्धि हास्य का पुरस्कार मिलना हैl लेखनी का उद्देश्य-समय का सदुपयोग करना हैl प्रेरणा -कबीर दास जी हैंl रूचि नृत्य,सत्संग,फैशन,मुशायरे में शिरकत और लेखन हैl

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