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गलत सोच

सुमिधा सिदार`हेम`
सरकण्डा(छत्तीसगढ़)
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थक गई हूँ तेरे गलत इल्ज़ाम से,
कठपुतली की तरह कब तक सजी रहूँ
महंगी साड़ी,गहने-श्रृगांर से।
मैं कोई वस्तु नहीं,मेरे अन्दर भी जीव है,
दर्द होता है तेरी इन कड़वी बातों से।
मैं औरत हूँ,
बस औरतों के बीच रहूँ
यही मेरी पहचान है।
जीना चाहती हूँ मैं,
कुछ करना चाहती हूँ मैं
पर तेरी हर बात,
मेरे दिल को टुकड़ा-टुकड़ा कर देती है।
ऐसा संसार हमारे लिए बना दो,
जहां बस हम ही रहें।
मिटा दो इस जग को,
यहां बेटा ही बेटा रहे।
बेटियों की औकात कहां,
बस पैर की जूती हैं।
घर की शोभा,कागज का गुलदस्ता है,
फिर क्यों ढूंढ़ते हो ?
भाई के लिए बहन,
भैया के लिए भाभी…
जीजी के लिए जीजा।
जहां हमारा कोई अस्तित्व नहीं,
बेटा ही घर का कुलदीपक
पर बेटी बदनामी की कालीन।
बनाया जब हमें,
जान ना डालते
चेहरा सुन्दर बना के मुस्कान ना देते,
शरीर बना के हाथ-पैर ना देते
आँख बना के आँसू ना देतेl
बैठे रहते घर के किसी एक कोने में,
जो दिल धड़कता है,पत्थर का बना देते।
कैसे दूं अपनी बेगुनाही का सबूत,
क्योंकि,मैं बेटी बनकर खुद गुनाह कर गई।
कटघरे में क्या सुनाऊं ?
तू ही जज,तू ही वकील,
मैं तो बस जिन्दा लाश हूँ।
मेरी कहानी ही अधूरी है,
लटकी है मेरे बुलंद हौंसलों में जंजीरl
फड़फड़ाती,गिड़गिड़ाती मैं,
चंद लम्हें आसमान में उड़ना चाहती हूँ
पर कैद हो गई,
तेरे भ्रम और शक में।
नसीबों से बेटी बनी थी,
बदनसीबी निगल गई
जिस मिट्टी में पैदा हुई,
तेरी गलत सोच से
वो मिट्टी कलंक हो गईll

परिचय-१३ सितम्बर १९९० को जन्मीं सुमिधा सिदार का जन्म स्थान-ग्राम कुण्डापाली(छग) है। आप वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य में महासमुंद जिले के ग्राम-सरकण्डा में रहती हैं। श्रीमती सिदार का साहित्यिक उपनाम-हेम(पति का नाम और वही आदर्श)है। शिक्षा-बी.ए. और कार्यक्षेत्र-सरकण्डा ही है।आप सामाजिक क्षेत्र में लोगों को बेटी की महत्ता बताने के साथ ही तनाव से राहत के लिए हँसाने की कोशिश करती हैं। लेखन में कविता, कहानी, एकांकी, हाइकु, तांका, मुक्तक एवं शायरी रचती हैं। आपकी नजर में-मेरी लिखी रचना कोई दूसरा पढ़ता है,वही सम्मान है। आपके लेखन का उद्देश्य-समाज की औरतों के प्रति है,क्योंकि गोंडवाना समाज को निखारना है,ताकि महिला वर्ग घर,गली, गाँव से बाहर निकलकर समाज के बारे में सोंचने को तैयार करना,औरतों को जागृत करना व हिन्दी भाषा लेखन को बढ़ावा देना है। कार्यक्षेत्र में आप गृहिणी हैं और ब्लॉग पर भी लिखती हैंl कुछ वेब मंचों पर आपकी रचना का प्रकाशन हुआ है।

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