ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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रिश्ते हैं,
मिट्टी के दीए
तेल डलें तो,
बुझ नहीं पाएं
टूट गए तो,
जुड़ न पाएं।
बड़ा नाजुक-सा,
बंधन है
मन मिलें तो,
दिल खिल जाए
मन बिखरे तो,
रिश्ते कैसे सहेजें जाएं।
कितना तपता है,
मिट्टी का दीया
तब जाकर कहीं,
अनुभव पाएं
ऑंगन-ऑंगन,
रोशन हो जाएं।
गरीबों का साथी है,
दीया संग बाती है
हिल मिल कर सबको,
रहना सिखाएं।
खुशियों से,
हर घर महकाएं॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।