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मुक्ति

संजय एम. वासनिक
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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जन्मा, उत्पन्न हुआ,
उत्पन्न हुआ, निर्मित हुआ
अनुकूलित वातावरण,
क्षणभंगुर जीवन
क्षय और मृत्यु से जुड़ा हुआ।

बीमारी का घोंसला,
नाशवान हर चीज
शरीर भी पोषण और तृष्णा की डोर से उत्पन्न,
आनंद की आशा
उससे मुक्ति, शांतिपूर्ण,
तर्क से परे, शाश्वत
अजन्मा-जन्मा, दुःख रहित अवस्था,
जो दाग से रहित
दु:ख से जुड़ी अवस्थाओं की
समाप्ति ही शायद ‘मुक्ति’ है।

वातावरण की शांति और आनंद,
उसकी जो इच्छा रखता है
लम्बी आयु, स्वास्थ्य, सौंदर्य, स्वर्ग और महान जन्म की आशा में जीता है,
एक के बाद एक भव्य आनंद की कामना करता है
बुद्धिमान लोग सावधानी की प्रशंसा करते हैं,
पुण्य के कार्य करने में
समझदारी समझते हैं
जब सावधान और बुद्धिमान लोग,
दोनों प्रकार के लाभ प्राप्त करते हैं
इस जीवन में लाभ,
और आने वाले जीवन में भी लाभ की कामना करते हैं,
अपने फायदे के लिए तभी,
आप ‘प्रबुद्ध’ कहलाते हैं।

अनित्य की धारणा,
विकसित और विकसित
सभी कामुक वासना को खत्म कर देती है,
रूप के लिए सभी वासना को खत्म कर देती है
अस्तित्व के लिए सभी
वासना को खत्म कर देती है,
सभी अज्ञानता को खत्म कर देती है
‘मैं’ के दम्भ को खत्म कर देती है।
बस यही तो है मुक्ति…
वही आनन्द लेने के योग्य है।
वही है आनंद है, यही मुक्ति है,
यही शायद निब्बान है॥