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मुस्कान समृद्धि का अनमोल उपहार

ललित गर्ग
दिल्ली
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विश्व मुस्कान दिवस (६ अक्टूबर) विशेष….

प्रत्येक अक्टूबर के पहले शुक्रवार को यानी इस वर्ष ६ अक्टूबर को ‘विश्व मुस्कान दिवस’ है। मुस्कान दिवस के पीछे वॉर्सेस्टर, मैसाचुसेट्स के एक अमेरिकी वाणिज्यिक कलाकार हार्वे बॉल के दिमाग की उपज थी। प्रतिष्ठित स्माइली फेस १९६३ में उनके द्वारा बनाया गया था। तब से, इसने सभी के सामूहिक आनंद को कैद कर लिया है। २००१ में हार्वे के निधन के बाद ‘स्माइली’ निर्माता को श्रद्धांजलि के रूप में हार्वे बॉल वर्ल्ड स्माइल फाउंडेशन की स्थापना की गई थी। इस दिन को स्थापित करने वाले कलाकार हार्वे बाल के अनुसार- हम सभी को हर साल एक दिन पूरी दुनिया में मुस्कुराने और दयालु बनने के लिए समर्पित करना चाहिए, क्योंकि मुस्कुराता हुआ चेहरा किसी भी राजनीतिक, भौगोलिक और धार्मिक बातों को नहीं जानता। सिर्फ आज के दिन मुस्कुराने की बजाय आप रोज मुस्कुराने की आदत बनाइये। इससे ना केवल आपकी मुश्किलें आसान होंगी, बल्कि आपके चाहने वाले भी आपको देखकर खुश रहेंगे।’
अच्छे स्वास्थ्य, मानसिक शांति एवं समग्र विकास के लिए मुस्कान जरूरी है। आज के तनाव, अशांत, चिन्ता एवं परेशानियों के जीवन में मुस्कान की तीव्र आवश्यकता है, क्योंकि हँसना और मुस्कुराना सभी के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक एवं बौद्धिक विकास में अत्यंत सहायक है। मुस्कान हमारे जीवन की सफलता की चाबी है, वह अनेक समस्याओं का समाधान भी है। मुस्कान दुखी दिल के घावों को भरने वाला मलहम है। हमारे चेहरे का व्यायाम है और मन का आराम। शोध कहते हैं कि, जैसे-जैसे हम बड़े हो रहे हैं, हमारा मुस्कुराना कम हो रहा है। हम इसलिए कम नहीं मुस्कुरातेे कि, हम बूढ़े हो गए हैं। हम बूढ़े ही इसलिए हुए कि, हमने मुस्कुराना बंद कर दिया है। करूणामूर्ति मदर टेरेसा ने कहा, ‘शांति की शुरुआत मुस्कुराहट से होती है। आपकी ख़ुशी आपके होंठों से शुरू होती है।’
इस वर्ष आप मुस्कान दिवस पर अपने होंठों को थोड़ा-सा मोड़ना न भूलें। यह संक्रामक होगा और आपके चारों ओर एक सकारात्मक वातावरण तैयार करेगा।
सेहत का एक मंत्र यह है कि, आप खुलकर मुस्कुराएं। हमें मुस्कुराना चाहिए और बात-बेबात मुस्कुराते रहना सफल एवं सार्थक जीवन का मंत्र है, पर कई बार पूरा पूरा दिन बिना मुस्कान के निकल जाता है। उदासी और बेचैनियों के बादल छाए रहते हैं, मुस्कान की धूप खिल नहीं पाती। मुस्कुराना-हँसना एक ऐसा सकारात्मक भाव है, जो व्यक्ति के न केवल आंतरिक बल्कि बाहरी स्वरूप को समृद्धिशाली एवं प्रभावी बनाता है। मुस्कान एक शक्तिशाली भावना है, जिसमें व्यक्ति को ऊर्जावान और संसार को शांतिपूर्ण बनाने की क्षमता है। जब व्यक्ति समूह में मुस्कुराता है तो उस मुस्कान से सकारात्मक ऊर्जा सम्पूर्ण परिवेश में व्याप्त हो जाती है।
आज के इस तनावपूर्ण वातावरण में व्यक्ति अपनी मुस्कुराहट व हँसी भूलता जा रहा है, फलस्वरूप तनावजन्य बीमारियाँ, जैसे-उच्च रक्तचाप, शुगर, माइग्रेन, हिस्टीरिया, पागलपन, अवसाद आदि को निमंत्रण दे रहा है। मुस्कुराने से ऊर्जा और ऑक्सीजन का संचार अधिक होता है। शरीर में से दूषित वायु बाहर निकल जाती है। हमेशा खुलकर मुस्कुराना शरीर के सभी अवयवों को ताकतवर और पुष्ट करता है, साथ ही शरीर में रक्त संचार की गति को बढ़ाता है। इसके अलावा पाचन तंत्र अधिक कुशलता से कार्य करता है। इसलिए चिकित्सक भी हर बीमारी के रोगी के लिए मुस्कुराने को उपयोगी बताते हैं, क्योंकि जोर-जोर से कहकहे लगाने एवं मुस्कुराने से पूरे शरीर में प्रत्येक अंग को गति मिलती है। इससे शरीर में मौजूद हारमोन दाता प्रणाली (एंडोफ्राइन ग्रंथि) सुचारुरूप से चलने लगती है, जो कई रोगों से छुटकारा दिलाने में सहायक होता है।
जो लोग हमें अपनी बातों, कार्यों एवं सोच से मुस्कान देते हैं, वे हमारी स्मृतियों में रच-बस जाते हैं। हम किसी को पसंद या नापसंद कई कारणों से कर सकते हैं, पर लंबे समय तक हमारे प्रेम के हकदार वे लोग बनते हैं, जो हमें हँसातेे हैं और हमारे चेहरे की मुस्कान लाते हैं। इसीलिए विक्टर बोर्ग कहते हैं, ‘हँसी दो लोगों के बीच की दूरी को पार करने का सबसे छोटा पुल है।’ हँसना-मुस्कुराना एक ऐसा बेशकीमती उपहार है, जो कुदरत ने केवल मनुष्य को ही बख्शा है। हास्य एवं मुस्कान एक सार्वभौमिक भाषा है। इसमें जाति, धर्म, रंग, लिंग से परे रहकर मानवता को समन्वित करने की क्षमता है। यह इंसान से इंसान को जोड़ने का उपक्रम है। यह विचार भले ही काल्पनिक लगता हो, लेकिन लोगों में गहरा विश्वास है कि हँसी-मुस्कान ही दुनिया को एकजुट कर सकती है।
दुनिया में सुख एवं दुःख दोनों ही धूप-छाँव की भाँति आते-जाते हैं। यदि मनुष्य दोनों परिस्थितियों में हँसमुख रहे तो उसका मन सदैव काबू में रहता है व वह चिंता से बचा रह सकता है। मुस्कुराने से आत्मा खिल उठती है। इससे आप तो आनंद पाते ही हैं, दूसरों को भी आनंदित करते हैं।
प्रमुख विद्वान थैकर एवं शेक्सपियर जैसे विचारकों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि, प्रसन्नचित व्यक्ति अधिक जीता है। मनुष्य की आत्मा की संतुष्टि, शारीरिक स्वस्थता व बुद्धि की स्थिरता को नापने का एक पैमाना है और वह है चेहरे पर खिली प्रसन्नता।
जापान में भगवान बुद्ध के शिष्य थे होतेई। वह बड़े अलमस्त स्वभाव के भिक्षुक थे। वह जिस कार्य को करते, उसमें पूरी तरह डूब जाते थे। ऐसी मान्यता है कि एक बार होतेई ध्यान करते-करते इतने रोमांचित हो गए कि, ध्यानावस्था में जोर-जोर से हँसने-मुस्कुराने लगे। इस अद्भुत घटना के उपरांत ही लोग उन्हें ‘लाफिंग बुद्धा’ के नाम से संबोधित करने लगे। घूमना-फिरना, देशाटन करना, लोगों को मुस्कान व खुशी प्रदान करना लाफिंग बुद्धा का ध्येय बन गया। चीन में लाफिंग बुद्धा को ‘पुताई’ के नाम से भी जाना जाता है। वे समृद्धि व खुशहाली का संदेशवाहक और घरों के वास्तुदोष निवारण का प्रतीक भी माने जाते हैं। जापान जैसे देशों में लोग अपने बच्चों को प्रारंभ से ही हँसते-मुस्कुराते रहने की शिक्षा देते हैं, ताकि उनकी भावी पीढ़ी सक्षम एवं तेजस्वी हो।
दुनिया के अधिकतर देश आतंकवाद के डर से सहमे हुए हैं, हर व्यक्ति के अंदर घबराहट और अशांति का कोहराम मचा हुआ है। ऐसे दौर में केवल मुस्कान ही दुनियाभर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकती है। चिकित्सकीय प्रयोग में पाया गया है कि, १० मिनट तक मुस्कुरातेे रहने से २ घंटे की गहरी नींद आती है।
मुस्कुराने वाले व्यक्तियों के कई सारे मित्र बन जाते हैं और इस प्रकार उनमें भाईचारा और एकता की भावना कब उत्पन्न होती है, पता ही नहीं चलता। डर, भय, असुरक्षा, आतंकवाद से हर इंसान सहमा हुआ है, तब ‘मुस्कान दिवस’ की अत्यधिक आवश्यकता महसूस होती है। इससे पहले इस दुनिया में इतनी अशांति कभी नहीं देखी गई। इस व्यस्त, अशांत एवं तनावग्रस्त जिंदगी में लोग कम से कम एक दिन तो अपने लिए निकालें और जी भरकर मुस्कराएं।