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मेरी माँ आ रही है

सौदामिनी खरे दामिनी
रायसेन(मध्यप्रदेश)

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छम-छम की धुन देखो कानों में आ रही है,
बजती देखो पायल,मेरी माँ आ रही है।
भक्तों आई टोली जयकारे लगा रही है,
गीतों में मधुर वाणी नव साज दे रही है।
छम-छम की…॥

कष्टों को दूर करने दीनों का दु:ख हरने,
हमको सुखी बनाने देखो मेरी माँ आ रही है।
छम-छम-छम की…॥

दर्शन की आस दिल में माँ तुमको पुकारते हैं,
भक्तों देने दर्शन मेरी माँ आ रही है।
छम-छम-छम की…॥

सुन्दर है रूप तेरा दिल को लुभा रहा है,
हे कल्याण कारी माता सारा जग ये गा रहा है।
छम-छम-छम की…॥

परिचय-सौदामिनी खरे का साहित्यिक उपनाम-दामिनी हैl जन्म-२५ अगस्त १९६३ में रायसेन में हुआ हैl वर्तमान में जिला रायसेन(मप्र)में निवासरत सौदामिनी खरे ने स्नातक और डी.एड. की शिक्षा हासिल की हैl व्यवसाय-कार्यक्षेत्र में शासकीय शिक्षक(सहायक अध्यापक) हैंl आपकी लेखन विधा-गीत,दोहा, ग़ज़ल,सवैया और कहानी है। ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय दामिनी की लेखनी का उद्देश्य-लेखन कार्य में नाम कमाना है।इनके लिए प्रेरणापुन्ज-श्री प्रभुदयाल खरे(गज्जे भैया,कवि और मामाजी)हैंl भाषा ज्ञान-हिन्दी का है,तो रुचि-संगीत में है।

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