राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड)
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महात्मा गाँधी जयंती विशेष…..
जब अंग्रेजों का बढ़ गया था अत्याचार,
और हमारी संगठन शक्ति हो गयी थी बेकार…
ऐसे में एक संत महान लिए अवतार,
आज कराएंगे हम आपका उनसे सरोकार।
सन १८६९ का था समय,
हुआ गाँधी जी का उदय…
थे वे सत्य और अहिंसा की मूर्ति,
धन्य हो गई उनसे हमारी धरती।
उन की मात्र एक पुकार से,
सह अहिंसात्मक हथियार से…
हुए संगठित सभी जन मन,
आजादी हेतु करवाया प्रण।
देख उन्होंने फिरंगियों का अत्याचार,
आजादी हेतु उन्हें दिया ललकार…
देख उनके पीछे था खड़ा संसार,
देख इसे अंग्रेजों में मचा हाहाकार।
फिरंगियों की अब ना चली मनमानी,
आ गई याद उन्हें अब अपनी नानी…
खत्म हुई ऐसे फिरंगियों की कहानी,
थे ऐसे संत महान हमारे बापू ज्ञानी।
बापू,जब बँट रहा था हिंदुस्तान,
कहाँ खो गया था तब सारा ज्ञान…
बिखर गई एकता बँट गया सम्मान,
क्यों न रुका बँटवारे का अभियान।
बँटवारा हो गया था यदि मजबूरी,
तो ठीक से इसे करते आप पूरा…
तो ठीक से इसे करते आप पूरा,
था बस यदि यही विकल्प जरूरी..॥
परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।