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भारत हुआ एक

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

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लगा था दाग माथे पर,
उसे आज मानो धो दिया।
और हिंदुस्तान को सही में,
आज़ाद करा दिया॥

बोकर गए थे जो बीज,
अंग्रेज हिंदुस्तान में।
उस फसल को आज,
उखाड़ फेंका हिन्दुतान ने।
कितने बेटों के बलिदान को,
आज मिला होगा सुकून हिंदुस्तान में।
इसलिए तो कन्याकुमारी से कश्मीर तक,
हर हिंदुस्तानी मनाए जा रहा जश्न॥

कब से ढोये जा रहे थे,
एक अलग संविधान।
अभिन्न अंग होते हुए भी,
सब कुछ अलग था।
मानो हिंदुस्तान के सीने में,
बहुत बड़ा दर्द था।
जिसको मानो आज,
मिल गई है संजीवनी।
तभी तो मना रहा है,
हर भारतीय आज खुशी॥

परिचय-संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

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