ब्रम्हांड की खूबसूरत कृति हूँ,
हाँ,मैं पृथ्वी हूँ।
मुझसे आलिंगन करता समीर है,
नक्षत्रों को चिढ़ाता,करता अधीर है।
मेरे अंक में ही जीवन पलता है,
अलग-अलग रूपों में ढलता है।
हरियाली रज का मेरा आँचल है,
सागर जल बनता मेरी पायल है।
पर्वत नदियाँ करती मेरा श्रंगार है,
मानव बनता गले का हार है।
नारी-सी परिभाषित होती हूँ,
हाँ,मैं पृथ्वी हूँ…हाँ,मैं पृथ्वी हूँ॥
परिचय-श्रीमति टीना जैन का रिश्ता प्रसिद्ध राज्य राजस्थान से है। २५ नवम्बर १९८० में आपका जन्म हुआ है। शिक्षा स्नातक सहित एम.ए.,बी.एड. तथा एम.एड. भी है। बतौर गृहिणी आप शहर उदयपुर के ऋषभदेव-खेरवाड़ा (तहसील रोड) में रहती हैं। आपकी रुचि कविता लेखन में है। आप मीडिया के सामाजिक मंच पर सक्रिय हैं। एक साझा काव्य संग्रह में आपकी रचना प्रकाशित हुई है। आप अधिकतर कविताएँ लिखती हैं। विशेष रुप से यह सामाजिक कटाक्ष लिखती हैं। लेखन का उद्देश्य पसंद का काम और हिन्दी से प्रेम है।