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मैं भी पढ़ने जाऊंगी

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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पापा मुझे भी किताब दिलवा दो,
मैं भी अब विद्यालय पढ़ने जाऊंगी
भैया संग मेरा भी नामांकन करवा दो,
मैं भी पढ़-लिख सितारा बन जाऊंगी।

मुझे मत समझना बोझ अपना,
पढ़-लिख मैं तो देश चलाऊंगी
मुझे होगा अभिमान आप पर,
मैं तो दुनिया को तार जाऊंगी।

सुनो पापा,सुनो मम्मी,सुनो सुनो,
मेरे लिए भी तो कुछ सपने बुनो
शीशे से में पत्थर तोड़ दिखाऊंगी,
परिश्रम से सपने को सजाऊंगी।

पापा मुझे भी किताब दिलवा दो,
मैं भी अब विद्यालय पढ़ने जाऊंगी।
मम्मी-पापा की हूँ राजदुलारी मैं,
दुनिया में सम्मान मैं फैलाऊंगी।

यह सच है कि बेटियां भी है कम नहीं,
बेटों से कम हर हाल में इसमें दम नहीं
हमने भी तो अंतरिक्ष जा चांद को छुआ,
हमसे है जमाना,जमाने से अब हम नहीं।

पापा मैं हूं बहुत मासूम,
मुझे कोख में न मारो
मुझे धरती पर आने दो,
स्वतंत्र हो मुझे जीने दो।

पापा मुझे भी किताब दिलवा दो,
मैं भी अब विद्यालय पढ़ने जाऊंगी
शिक्षक,डॉक्टर,वैज्ञानिक बनकर,
मैं देश का गौरव विश्व में फैलाऊंगी।

पापा मुझे भी किताब दिलवा दो,
मैं भी अब विद्यालय पढ़ने जाऊंगी।
पापा मेरा भी नामांकन करवा दो,
मैं भी अब विद्यालय पढ़ने जाऊंगी॥

परिचय– साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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