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मैं शिक्षक अति साधारण

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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शिक्षक दिवस विशेष……….
मैं शिक्षक अति साधारण,
देखता हूँ सदा मैं बच्चों को
सुहृदय कोमल और दिल के सच्चों को,
करता मैं इनकी समस्याओं का निवारण…
मैं शिक्षक अति साधारण।

मैं शिक्षक अति साधारण,
ना मैं डाॅक्टर ना मैं कलेक्टर
ना मैं जवान-ना मैं किसान,
ना मुझमें शहीदों-सा अभिमान
ना मैं नेता-ना मैं अभिनेता,
पर हूँ मैं इन सबका निर्माता…
मैं शिक्षक अति साधारण।

मैं शिक्षक अति साधारण,
ना मैं राजा-ना मैं रंक
ना मैं खुदा-ना मैं ईश्वर,
ना मेरी स्थिति है सबसे बेहतर
पर मेरा ही ज्ञान बसता है सबके अंदर…
मैं शिक्षक अति साधारण।

मैं शिक्षक अति साधारण,
डॉक्टर सोंचे तुम पड़ो बीमार
करूँगा मैं तुम्हारा उपचार,
वकील सोंचे तुम करो हाथा-पाई
फिर करूँगा अदालत में तुम्हारी जेब सफाई,
नेता कहे तुम रहो रंक
फिर मैं दिलाऊँगा सरकारी सहायतार्थ अंक,
पर केवल शिक्षक सोंचे ज्ञान ले तुम बनो ज्ञानी
दुनिया को दिखाओ तुम अपनी शानी…
मैं शिक्षक अति साधारण।

मैं शिक्षक अति साधारण,
दुनिया में ना चलती मेरी धाक
पर रखता हमेशा हृदय अपना पाक,
मैं ना कर पाया परदेश गमन
पर ज्ञान मेरा सबके द्वारा करता विश्व भ्रमण,
सभी गुरुजनों को मेरा नमन
छात्र चूमें पढ़-लिख कर गगन।
मैं शिक्षक अति साधारण…,
मैं शिक्षक अति साधारण॥

परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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