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मै भी एक पेड़ हूँ

डीजेंद्र कुर्रे ‘कोहिनूर’ 
बलौदा बाजार(छत्तीसगढ़)
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गली-गली में मैं हूँ,छाया तुम्हें देता हूँ।
खेतों के पार मैं हूँ,वर्षा भी कराता हूँ।
शीतल हवा देता हूँ,चुपचाप मैं रहता हूँ।
देखो भाई मत काटो,मैं भी एक पेड़ हूँ।

मीठा फल देता हूँ,खट्टा फल देता हूँ।
कार्बोहाइड्रेट देता हूँ,विटामिन भी देता हूँ।
मैं कुछ नहीं लेता,सिर्फ तुम्हें मैं देता हूँ।
देखो भाई मत काटो,मैं भी एक पेड़ हूँl

मैं ही औषधि देता,जीवन को बचाता हूँl
अमृत का रसपान कराता,नई जान देता हूँ।
मुझ पर रहम करो,खुशियां मैं देता हूँ।
देखो भाई मत काटो,मैं भी एक पेड़ हूँ।

पेड़ खूब लगा लो,हरियाली मैं देता हूँ।
रक्षा कर लो,धरा को सुंदर बनाता हूँ।
पृथ्वी पर अब जीने दो,शुद्ध वायु देता हूँ।
देखो भाई मत काटो,मैं भी एक पेड़ हूँll

परिचय-डीजेंद्र कुर्रे का निवास पीपरभौना बलौदाबाजार(छत्तीसगढ़) में है। इनका साहित्यिक उपनाम ‘कोहिनूर’ है। जन्मतारीख ५ सितम्बर १९८४ एवं जन्म स्थान भटगांव (छत्तीसगढ़) है। श्री कुर्रे की शिक्षा बीएससी (जीवविज्ञान) एवं एम.ए.(संस्कृत,समाजशास्त्र, हिंदी साहित्य)है। कार्यक्षेत्र में बतौर शिक्षक कार्यरत हैं। आपकी लेखन विधा कविता,गीत, कहानी,मुक्तक,ग़ज़ल आदि है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत योग,कराटे एवं कई साहित्यिक संस्थाओं में भी पदाधिकारी हैं। डीजेंद्र कुर्रे की रचनाएँ काव्य संग्रह एवं कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित है। विशेष उपलब्धि कोटा(राजस्थान) में द्वितीय स्थान पाना तथा युवा कलमकार की खोज मंच से भी सम्मानित होना है। इनके लेखन का मुख्य उद्देश्य समाज में फैली कुरीतियां,आडंबर,गरीबी,नशा पान, अशिक्षा आदि से समाज को रूबरू कराकर जागृत करना है।

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