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मोहरा

अरुण कुमार पासवान
ग्रेटर नोएडा(उत्तरप्रदेश)
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नियति बड़ी क्रूर होती है,
मनुज बँधा नियति के हाथ,
सारे यत्न व्यर्थ हो जाते,
भाग्य नहीं जब होता साथ।

बिन ब्याही माँ जन्म दे गयी,
कह ना पायी पर वो पूत,
खून रगों में था क्षत्रिय का,
जीवन भर कहलाया सूत।

राज मिला भारी कीमत पर,
गिरवीं रखना पड़ा ज़मीर,
देता रहा साथ अधर्म का,
दी नियति ने कैसी पीड़।

पैदा हुआ कवच-कुंडल संग,
इंद्र ले गया छल से दान,
विद्या भी अभिशप्त हो गयी,
कर न सका जिसका संधान।

सूर्यपुत्र था,’रश्मि-रथी’ था,
किंतु,धुँध में रहा हमेशा,
सहता रहा कोप नियति का,
कर्ण भाग्य के मोहरे जैसा।

भाग्यवाद की सोच,सत्य है,
मानव को कमज़ोर बनाती,
किंतु,नियति ही देवों को भी
मनुज रूप में जग में लाती॥

परिचय:अरुण कुमार पासवान का वर्तमान निवास उत्तरप्रदेश के ग्रेटर नोएडा एवं स्थाई बसेरा जिला-भागलपुर(बिहार)में है। इनकी जन्म तारीख १७ दिसम्बर १९५८ और जन्म स्थान-भागलपुर है। हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री पासवान ने ३ विषय में एम.ए.(इतिहास,हिंदी व अंग्रेज़ी) और विधि में स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है। आपका कार्य क्षेत्र-सहायक निदेशक, कायर्क्रम सेवा(सेवानिवृत्त-आकाशवाणी)का रहा है। कविता,कहानी,नाटक,लेख में निपुण श्री पासवान के नाम प्रकाशन में-पितृ ऋण (गद्य),अल्मोड़ा के गुलाब (काव्य संग्रह),७ सम्पादित काव्य संग्रह,३ पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित है। आप एक पत्रिका के सह-सम्पादक होने के साथ ही पोर्टल पर लेखन में सक्रिय हैं। लेखन का उद्देश्य-साहित्य सेवा और पसंदीदा हिंदी लेखक-निराला,दिनकर हैं। आपके लिए प्रेरणापुंज- दिनकर हैं। देश और हिंदी भाषा पर आपकी राय-“भारत सामाजिक समन्वय में विश्वास रखता रहा है। इसकी सांस्कृतिक विरासत का कोई सानी नहीं है। हिंदी भाषा को भारतीय संस्कृति की परिचायक और प्रतिनिधि भाषा कहना उपयुक्त होगा। सहिष्णुता हिंदी भाषा का प्रधान चरित्र है।”

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