अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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बड़ा विचार
तो संकट अपार
यही है सच।
पड़ा वास्ता तो
औकात दिख गई
यही है सच।
कोई न सगा
देता मौके पे दगा
यही है सच।
मौन उसका
खा गया रिश्ते सारे
यही है सच।
अकड़ो मत
सब छूट जाएगा
यही है सच।
सेवक बनो
इंसानियत भली
यही है सच।
दूर की सोचो
पास का लाभ बुरा
यही है सच।
भाग्य अटल
तो कर्म करो अच्छे
यही है सच।
जिंदगी जुआँ
निडर रहो सदा
यही है सच।
इश्क़ दरिया
मंज़िल कब मिली!
यही है सच।
‘मित्रता’ वही
जो छूटे नहीं कभी
यही है सच।
हो सच्ची भक्ति
तो छूटे न ईश्वर
यही है सच।
प्रभु ही सब
मन की चली कब !
यही है सच॥