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रामलला अभिराम

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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सौभाग्य मना रहे हैं जन-जन,
करके राम का गान
पूरी करके प्रतिज्ञा, समारोह प्रतिष्ठा प्राण
जन का मन प्रफुल्लित हुआ,
अवध नजारा देख
भव्य बाल रूप राम का,
‘अजस्र’ करे प्रणाम।

राम दरबार सज गया, शोभा अति अभिराम
महापर्व श्री राम का, तट सरयू प्रतिष्ठा प्राण
‘अजस्र’ दिव्य स्वरुप है, बाल राम प्रतिरूप
राम की लीला अवध में, जय-जय-जय श्री राम।

सरयू तट पर अर्चना, रामलला जयकार
अवध आज संसार सब, यजमानी है अपार
‘अजस्र’ प्रसन्नता हर और है,
गाँव भले हो देश,
प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष पहुंच रही,
बधाइयाँ बौछार।

जन्मभूमि जब राम की, राम ही रक्षक आज,
संघर्षों, जिनका साथ रहा,
आज मिला सुराज
‘अजस्र’ मर्यादा पालते, न्याय से पाया मुकाम,
कई राज आए गए, अब है राम का राज।

प्राण-प्रतिष्ठा राम की अब,
अवध है और स्वर्ग समान
नभ-जल-थल बस राम है, राम और केवल राम
राम-हिन्द ‘अजस्र’ प्राण में,
जन-जन आस्था देख,
इंतजार सदियों, खत्म हुआ ,
राम-अवध जगमान।

राम नाम हाला पीकर, जग समस्त मदमाया,
पोष द्वादशी, प्राण-प्रतिष्ठा,
प्रशिक्षित दिन अब आया
‘अजस्र’ जन्म हुआ सफल,
साक्षी बने जो लोग,
सज्जन, संत, अवधूत सब,
रटे नाम रघुराया।

लाख छवियाँ अयोध्या की,
प्राण-प्रतिष्ठा राम
मंगल ध्वनियाँ बज रही, सुमन सुमंगल काम।
‘अजस्र’ नजर न रुक रही, मन उड़ा लगाए पंख,
रामपथ से गर्भ गृह, कल्पना दरश अभिराम॥

परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|