दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
**************************************************
राम राज…
दशरथ कोई जब आप बने तो,
राम जनम ले पाएगा।
रावण होगा जिस भी घर में,
विभीषण पनप ही जाएगा॥
दशरथ कोई जब…
बंजर भूमि में कितने ही,
उच्च कोटि के बीज डलें।
खाद, घड़ों पानी भी दे दो,
बीज पनप ना पाएगा।
दशरथ कोई जब…॥
बाट जोहते सब भारतवासी,
जन्म राम का, अब तो हो ले।
कलियुग गहन अंधकार है घिरता,
राम ही इसको मिटाएगा।
दशरथ कोई जब…॥
आज के अंधियारे इस युग में,
सूरज जाने कब उजलेगा…?
तेल बाती दीपक जब होगा,
प्रकाश वो ही फैलाएगा।
दशरथ कोई जब…॥
सभ्यता के इस उत्कर्ष में हम,
वानर-भालू से बन गए हैं।
आएगा कोई राम कभी तो,
सुग्रीव, हनुमान बनाएगा।
दशरथ कोई जब…॥
ऋषि-मुनि, गुरुज्ञान, ‘अजस्र’,
यज्ञों को राक्षस कर रहे ध्वस्त।
वाल्मिकी-तुलसी मिलकर ही,
समाज एकता कराएगा।
दशरथ कोई जब…॥
माँ क्यों कर कैकई बन जाए,
सहस्त्र मंथरा कान भरे।
भरत-राम के बीच भेद ही,
दशरथ कभी मरवाएगा।
दशरथ कोई जब…
स्वर्णमृग की मोह-माया में,
कोई क्यों भव में डूबे।
माया बंधनों काटकर वो ही,
‘अजस्र’ को पार लगाएगा।
दशरथ कोई जब…॥
सीता रूपी संस्कृति को,
कोई रावण भी मिटा न सका।
घर-घर हो जब राम का दीपक,
संस्कार वो ही तो खिलाएगा।
दशरथ कोई जब…॥
लक्ष्मण बनकर भेद करोगे,
शबरी के बेरों से तुम।
समय शक्ति की मार से तुमको,
कैसे-कौन बचाएगा ?
दशरथ कोई जब…॥
अहिल्या जब पत्थर बन जाए,
ममता मर्यादा गहरा ह्वास।
वो ही राम फिर स्पर्श मात्र से,
नारी रूप पुजवाएगा।
दशरथ कोई जब…॥
हक भाई का छीना जाकर,
बाली सम जब कोई बने।
न्याय तराजू थाम, राम ही,
फिर मित्रता धर्म निभाएगा।
दशरथ कोई जब…॥
धरती देश की सोना उगले,
स्वर्ण चिड़िया का स्वरूप वो ही।
बल बुद्धि विवेक हर आँगन,
दीपों की माला सजाएगा।
दशरथ कोई जब…॥
अयोध्या आज, भारत विस्तारित,
घर-घर राम के दीप जले।
मन से बुझती संस्कृति, उस लौ को, वो भारत विश्व चमकाएगा।
दशरथ कोई जब…॥
चिर प्रकृति परिवेश संजोकर,
उन्मुक्त गगन में साँसें ले।
सभ्य विज्ञ संस्कृति भारत फिर, विश्व गुरु बन पाएगा।
दशरथ कोई जब…॥
गहरी काली रातों की भी,
‘अजस्र’ सुबह तो निश्चित है।
‘सूराज-राम’ फिर से चमकेगा,
अंधियारे को वो ही भगाएगा।
दशरथ कोई जब…॥
परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|