कुल पृष्ठ दर्शन : 368

You are currently viewing तेरा-मेरा प्यार

तेरा-मेरा प्यार

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

फागुन और बयार,
बसन्त और बहार
इश्क़ और खुमार,
साथ और तकरार
सोच और विचार,
हम और आचार।
वैसे ही तेरा-मेरा साथ,
वैसे ही तेरा-मेरा प्यार।

धुन और संगीत,
स्वर और गीत
प्रीत और मीत,
हार और जीत
जग और रीत,
बेचैनी संग करार।
वैसे ही तेरा-मेरा साथ,
वैसे ही तेरा-मेरा प्यार।

शोर और वीराना,
नया और पुराना
मनुहार और ताना,
गम और तराना
नीरस और सुहाना,
प्रीत के रंग कई हजार।
वैसे ही तेरा-मेरा साथ,
वैसे ही तेरा-मेरा प्यार।

फूल और महक,
आग और धधक
खुशी और लहक,
डर और झिझक
प्रीत और चहक,
रंग जीवन के बेशुमार।
वैसे ही तेरा-मेरा साथ,
वैसे ही तेरा-मेरा प्यार।

समंदर और पानी,
महल और रानी
नानी और कहानी,
जोश और जवानी,
तेल और घानी
म्यान और तलवार।
वैसे ही तेरा-मेरा साथ,
वैसे ही तेरा-मेरा प्यार।

अपना और पराया,
धूप और छाया
भूखा और खाया,
खोया और पाया
गया और आया,
दुश्मन और यार।
वैसे ही तेरा-मेरा साथ,
वैसे ही तेरा-मेरा प्यार।

राह और राही,
हीर और माही
कर्ज और उगाही,
गुण और वाह-वाही
चाही और सराही,
विकृति और धिक्कार।
वैसे ही तेरा-मेरा साथ,
वैसे ही तेरा-मेरा प्यार।

भक्ति और आस्था,
भय और काँपता
नया दौर और पास्ता,
दौड़ता और हाँफता
महँगा और सस्ता,
परिचय और आधार।
वैसे ही तेरा-मेरा साथ,
वैसे ही तेरा-मेरा प्यार॥

परिचय-ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

Leave a Reply