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राह दिखाती सदा

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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‘विश्व पुस्तक दिवस’ विशेष…

‘पुस्तकें’,
दोस्त हमारी
सिखाती है जिंदगी,
जीते हम
जंग।

‘पुस्तकें’,
गुरु-ज्ञान
अनगिनत नसीहत देती
लाती रौशनी
सफलता।

‘पुस्तकें’,
परिवार भी
अकेलेपन की साथी,
छोड़ती नहीं
हाथ।

‘पुस्तकें’,
चिंतन कराती
घर, समाज, देश,
बोलते हम
सच्चाई।

‘पुस्तकें’,
झूठी नहीं
इंसान की तरह,
सच कहती
दुनियादारी।

‘पुस्तकें’,
महकाती सदा
उदास मन को,
राह दिखाती
भविष्य।

‘पुस्तकें’,
दूरियाँ मिटाती
सत्य पर चलाती,
आदर्शवाद है
आशीर्वाद।

‘पुस्तकें’,
साहित्य समाज
तकनीक का समय,
जिन्दा है
अस्तित्व।

‘पुस्तकें’,
उड़ना सिखाती
देती कल्पना पंख,
गहरा प्रभाव
मन।

‘पुस्तकें’,
बचाती बचपन
बाँटती संस्कृति-संस्कार।
सदा पढ़ो,
बढ़ो॥