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रिश्तों का शहर

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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बहुत सुन्दर लगता है रिश्तों का शहर,
जब हर ओर बहती है खुशी की नहर
हँसते-हँसते कब समय, गुजर जाता है,
संकट भी आया तो, पता नहीं चल पाता है।

रिश्ते में छोटा, आदर से शीश झुकाता है,
बुजुर्ग का हृदय प्रफुल्लित हो जाता है
परिवारों के रिश्तों में जहाँ एकता होती है,
उसी घर में धन, यश, वैभव सब रहता है।

सन्त कहते हैं-रिश्ते को बांधकर रखना,
परिजन में एकता से, बल मिलेगा दोगुना
जहाँ बुजुर्ग हों, वहीं है रिश्तों का शहर,
वरना हरेक-जन का होगी अलग डगर।

रिश्तों के शहर में प्रेम बांटते ही रहना,
नहीं तो पड़ेगा कष्टों का सामना करना।
मिल-जुल कर रहना ही सबका काम है,
एकता का दीप, ‘रिश्तों का शहर’ नाम है॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |