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लघुकथा के समापन में अनकहा ही प्राण तत्व

गोष्ठी…

लखनऊ (उप्र)।

लघुकथा के सहज आगाज और समापन में कुछ अनकहा ही प्राण तत्व है।
यह बात समीक्षक, लघुकथाकार और साहित्य संपादक सिद्धेश्वर जी ने मुख्य अतिथि के रूप में अभा लघुकथा कक्ष (लखनऊ) की मासिक लघुकथा गोष्ठी में कही। यह आचार्य ओम नीरव की अध्यक्षता और कथाकार मंजू सक्सेना के संचालन में आभासी माध्यम में की गई। इस गोष्ठी में अपर्णा गुप्ता के संयोजन में आमंत्रित लघुकथाकारों ने लघुकथाएँ पढ़ी। इसमें श्रीमती नलिनी श्रीवास्तव, विजय कुमारी मौर्य, निवेदिता श्रीवास्तव ‘निवी’, दीप्ति श्रीवास्तव व गार्गी राय आदि शामिल रहे।
आचार्य ओम नीरव ने सभी से विचारों की खिड़की खुली रखने के साथ यह भी कहा कि, प्रस्तुतिकरण में संवाद, टेलीवार्ता, पत्र आदि शैलियों में भी नव प्रयोग करना चाहिए । समापन पर डॉ. सुरभि सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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