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लोकतंत्र में गिरने-गिराने की परम्परा

संदीप सृजन
उज्जैन (मध्यप्रदेश) 
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जैसे पीने-पिलाने वालों के मजे होते हैं,वैसे ही राजनीति में गिरने-गिराने के मजे होते हैं। राजनीति में गिराने वाला और गिरने वाला दोनों ही महान माने जाते हैं। राजनीति में आदमी गिरने से पहले पुरजोर कोशिश करता है कि वो किसी को गिरा दे और गिरे नहीं,राजनीति में तो एक-दूसरे को गिराने की होड़ लगी रहती है। हर कोई एक-दूसरे को कभी शब्दों से तो कभी चरित्र से गिराने की तुकतान में रहता है। जरा-सी कमजोरी सामने आयी कि टांग पकड़ के अच्छे-अच्छों को गिरा दिया जाता हैं। लोकतंत्र में गिरने- गिराने का खेल तो जैसे शाश्वत परम्परा का निर्वहन करना है। कभी केन्द्र की तो कभी प्रदेश की सरकार गिर जाती है,या कहें गिरा दी जाती है।

कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार के मुखिया बने,तभी से कईं तरह के इंजेक्शन लेकर और एंटीबायोटीक डोज लेकर बैठे हुए थे। उनको ये भरोसा भी था कि उन्होंने जो वैक्सीन लगा रखे हैं,वे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम नहीं होने देंगे,लेकिन येदियुरप्पा ने जो विषैले कीटाणु फैलाए और जोर- आजमाईश की तो उनकी कोई दवा काम नहीं आयी और वे अच्छे भले चलते-चलते लड़खड़ाने लगे,तथा आखिर में गिर ही गए।

कुमारस्वामी,कईं माह राजनीति के दर्द से पीड़ित थे,कराह भी रहे थे और उपर वाली मैडम से इंजेक्शन के डोज बढ़ाने के भी अनुरोध कर रहे होंगे,लेकिन कहा जाता है, अपने करम अपने को ही भोगना है बाकी लोग तो अंतिम संस्कार और उठावने में ही आते हैं। विद्वानों ने ‘कर्नाटक का नाटक’ कह कर पन्द्रह-बीस दिनों से गिरने-गिराने के खेल का खूब मजा लिया,वो कुमारस्वामी की छाती पर मूंग दलने जैसा ही था। आखिर कर लोगों के मजे में सरकार गिर ही गई,और लोग ताली बजाने में लगे हुए हैं।

वैसे भी बच्चा जब चलना सीखता है तो पहले थोड़ा चलता है,और फिर गिरता भी है। चलने का प्रयास जारी रहता है। चंदन गाड़ी के सहारे चलता है,वह भी फिसलती है फिर गिरता है। गाड़ी बदलती है,सायकिल आ जाती है तो फिर सायकिल से भी गिरता है। सायकिल,मोटर सायकिल के नये अवतार में मिलती है और कभी-न-कभी मोटर सायकिल से भी वह गिरता है। लोकतंत्र में मिली-जुली सरकार चलाना मौत के कुएँ में मोटरसायकिल चलाने से कम नहीं है। जरा सा चूके कि,सरकार गिरी,और मोटर सायकिल का गिरना कुछ न कुछ निशानी दे जाता है। गिरना तो इंसान के जन्म से जुड़ा है,पर वह बच्चा बड़ा होता है तो पता नहीं कितना गिरता है,किस-किस पर गिरता है और कितनों को गिराता है। ये उसके समय और भाग्य पर निर्भर करता हैं।

 

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