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लोक राग के कवि थे राम इकबाल सिंह राकेश

पुण्यतिथि

मुजफ्फरपुर (उप्र)।

प्रकृति के चितेरे कवि राकेश जी ग्रामीण चेतना के बड़े कवि थे। उनकी कई लंबी कविताएं महाकाव्यात्मक औदात्य से भरी हुई हैं। उनकी कविताएं भारतीय संस्कृति और वैज्ञानिक गतिशीलता से संपन्न हैं। लोक राग और पौरुष आग के कवि राकेश की कई कविताएं कालजयी हैं।
यह बात राकेश जी के व्यक्तित्व-कृतित्व पर विस्तार से वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. संजय पंकज ने कही। अवसर रहा उत्तर छायावाद के महत्वपूर्ण कवि राम इकबाल सिंह राकेश की पुण्यतिथि पर स्मृति पर्व के आयोजन का, जो आमगोला स्थित शुभानंदी में महाकवि राम इकबाल सिंह राकेश स्मृति समिति तथा नवसंचेतन के संयुक्त तत्वावधान में हुआ।
अध्यक्षीय उद्गार में कवि नरेन्द्र मिश्र ने कहा कि स्मृतिशेष राम इकबाल सिंह राकेश सामाजिक समरसता के कवि हैं। क्रांति, नए विचार व राष्ट्र बोध उनकी कविताओं में भरा पड़ा है। कवि समीक्षक डॉ. केशव किशोर कनक ने कहा कि राकेश जी मानवतावाद के कवि हैं। उनकी कविताएं प्रकृति राष्ट्र और विशेष रूप से मनुष्यता का जीवंत दस्तावेज हैं।
गीतकार कुमार राहुल, डॉ. यशवंत, श्यामल श्रीवास्तव, ब्रजभूषण शर्मा व डॉ. नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी एवं दूसरे सत्र में कुमार विभूति, राकेश कुमार आदि ने रचनाओं की सुंदर प्रस्तुति दी। प्रणय कुमार ने आभार व्यक्त किया।
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