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‘वार’ एक्शन से भरपूर धमाका

इदरीस खत्री
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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लेखक-निर्देशक-सिद्धार्थ आनन्द निर्मित फिल्म ‘वार’ में अदाकार ऋतिक रोशन, टाइगर श्रॉफ,वाणी कपूर,आशुतोष राणा, दीपानिता शर्मा तथा अनुप्रिया गोयन्का हैं। इसमें संगीत-विशाल शेखर ने रचा हैं। इस बड़ी फिल्म पर फ़िल्म पर छोटी चर्चा तो बनती है-
फ़िल्म का शूट २०१८ में जनवरी के दूसरे सप्ताह से शुरू हुआ था,जो २०१९ तक चला। पहले फ़िल्म का नाम ‘फाइटर्स’ तय हुआ था,फिर अंत में ‘वॉर’ पर सहमति बनी।
ऋतिक-और टाइगर दोनों एक्शन औ

र नाच में पारंगत होने के साथ भारत में बड़ी सख्या में प्रशंसक रखते हैं,तो यही गुणवत्ता दोनों अभिनेता की इस फ़िल्म को नए मुकाम पर ले गई है। टाइगर की प्रशंसक संख्या खासकर युवाओं में लगातार बढ़ रही है,वहीं ऋतिक अब देश के हर वर्ग की पसन्द बनते जा रहे हैं।
#कहानी-
अंतरराष्ट्रीय आतंक पर जब बात होती है तो पूरा विश्व चुटकीभर हो जाता है,क्योंकि वतनपरस्ती साबित करना आसान तो नहीं होता। यह कई बार जान की कीमत चुका कर साबित की जाती है। लेफ्टिनेंट खालिद (टाइगर श्रॉफ) भारतीय सेना में पदस्थ है, और उसके वालिद देशद्रोही होकर मरे थे। खालिद इस कलंक(उसके वालिद देशद्रोही थे,)को पल-पल मिटाने के लिए जी-जान से मेहनत करता है।
भारतीय सेना में कार्यरत कर्नल लूथरा (आशुतोष राणा) ‘सीक्रेट मिशन’ पर काम कर रहे होते हैं,जिसमें कर्नल कबीर(ऋतिक) भी शामिल है,वहीं सेना में नया जवान खालिद भी अपनी काबिलियत साबित करते हुए कर्नल कबीर की टीम में शामिल किया जाता है। इनको देश के लिए उन आतंकियों को खोज निकाल कर खात्मा करना है,जो देश की अस्मिता के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। खालिद को कर्नल कबीर के दल में पदस्थ किया जाता है,लेकिन कबीर इसके खिलाफ है। कहा कि खालिद के वालिद को कबीर ही ने शूट करके सज़ा दी थी,परन्तु खालिद खुद को साबित करता है,और कबीर का दिल जीतने में कामयाब होता है,लेकिन कर्नल कबीर एक मिशन के बाद देश के कुछ लोगों को मारना शुरू कर देता है,तो उसे रोकने के लिए मिशन पर खालिद निकलता है।
#गुरू चेला आमने-सामने-
फ़िल्म में बहुत कुछ रोचक मोड़ और घटनाएं ऐसी आती है,जो आपको कुर्सी से चिपके रहने को मजबूर कर देती हैं।
#कुछ सवाल-
क्या खालिद खुद के वालिद के देशद्रोही कलंक को धो पाता धो पता है,खालिद,कर्नल कबीर को रोक पाता है,कर्नल कबीर क्यों देशसेवा करते-करते लोगों को जान लेने लगता है..? इन सब सवालों के जवाब के लिए फ़िल्म देखी जा सकती है।
#अदाकारी-
ऋतिक निखर के सोना हो चले हैं। अब वह खुद को किरदार के अनुरूप ढाल लेते हैं। जब नकारात्मकता पर आते हैं ऋतिक तो और जानदार अभिनय करते हैं। टाइगर भी अपने किरदार से न्याय कर गए। वाणी को जितना काम मिला खूबसूरती से निभाया। आशुतोष राणा वह कील है जो किसी भी दीवार पर लग जाती है,यानी उम्दा अभिनय किया है। बाकी सहयोगी कलाकार भी अच्छा काम कर गए हैं।
#निर्देशन-
आनन्द का निर्देशन बढ़िया है। खास बात स्थलों(लोकेशन) पर खूब काम किया गया है। पूरे विश्व के ७ देशों के १५ शहरों में फिल्म को शूट किया गया,जो मनोहारी लगता है।
#संगीत-
फिल्म में सिर्फ २ गाने रखे गए हैं,वह भी भारतीय दर्शकों के लिए,नहीं तो फ़िल्म विश्व सिनेमा की तर्ज पर बनी है,जिसमें गाने नहीं होते तो भी काम चल जाता। ‘जय जय शिव शंकर…’, जितना खूबसूरत बना है उससे कई गुना खूबसूरत नृत्य(डांस)किया है ऋतिक और टाइगर ने।
#द्वंद(एक्शन)-
हम शनै-शनै विश्व सिनेमा को पछाड़ने में लगे हैं,उसमें यह फ़िल्म एक कदम हमें और आगे ले जाती है।
#फ़िल्म का बजट-
१८० करोड़ लागत और २५ करोड़ प्रदर्शन मिलाकर बजट कुल २०५ करोड़ हो चुका है,जिसमें से फ़िल्म के सेटेलाइट अधिकार १२० करोड़ में एवं संगीत अधिकार १० करोड़ में बिक चुके हैं,यानि १३० करोड़ की कमाई फ़िल्म प्रदर्शन पूर्व ही कर चुकी है। यह फ़िल्म पहले दिन ३५ से ४५ करोड़ की शुरूआत ले सकती है। इस फ़िल्म के सामने दक्षिण की साइरा नरसिम्हा रेड्डी,हॉलीवुड की शानदार फ़िल्म ‘जोकर’ भी प्रदर्शित हुई है,
#छायांकन-
बेज जेस्पर का फिल्मांकन बेशक विश्व स्तर का है। स्थलों को खूबसूरत बनाने के साथ एक्शन दृश्यों को भी कमाल बना दिया है। खासकर चेसिंग दृश्य सहित बाइक,कार, हवाईजहाज सभी चेसिंग सीन क़ाबिले तारीफ है।
#अंत में-
फ़िल्म एक्शन से भरपूर है,जिसके लिए युवा वर्ग को बहुत आकर्षित करने में कामयाब होगी। फ़िल्म को थोड़ा छोटा किया जा सकता था। २ घण्टे ३४ मिनट में काट-छांट सम्भव थी,लेकिन फ़िल्म का एक्शन इसकी भरपाई कर देता है। अब्बास टायरवाला के संवाद तालियों से हाल गुंजा जाते हैं। फ़िल्म को ३.५ सितारे दिए जाना बेहतर रहेगा।

परिचय : इंदौर शहर के अभिनय जगत में १९९३ से सतत रंगकर्म में इदरीस खत्री सक्रिय हैं,इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग १३० नाटक और १००० से ज्यादा शो में काम किया है। देअविवि के नाट्य दल को बतौर निर्देशक ११ बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में देने के साथ ही लगभग ३५ कार्यशालाएं,१० लघु फिल्म और ३ हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। आप इसी शहर में ही रहकर अभिनय अकादमी संचालित करते हैं,जहाँ प्रशिक्षण देते हैं। करीब दस साल से एक नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं। फिलहाल श्री खत्री मुम्बई के एक प्रोडक्शन हाउस में अभिनय प्रशिक्षक हैंl आप टीवी धारावाहिकों तथा फ़िल्म लेखन में सक्रिय हैंl १९ लघु फिल्मों में अभिनय कर चुके श्री खत्री का निवास इसी शहर में हैl आप वर्तमान में एक दैनिक समाचार-पत्र एवं पोर्टल में फ़िल्म सम्पादक के रूप में कार्यरत हैंl

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