पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़)
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“दे दी हमें आज़ादी,बिना खड्ग बिना ढाल,
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।”
ये पंक्तियां गांधीजी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांत की ताकत पूरी तरह प्रर्दशित करने में सक्षम है। किसी भी स्थिति में सत्य और अहिंसा का साथ न छोड़ने वाले गांधी जी अपने विचारों से न सिर्फ देश को प्रभावित किया,बल्कि विदेशों में भी उनके सिद्धांतों की वजह से लोगों ने गांधी जी का लोहा माना।
गांधी जी ने सत्य,अहिंसा,ब्रम्हचर्य
(जो मन वचन और काया से अपनी इन्द्रियों को अपने वश में रखे),अस्तेय (चोरी न करना ),अपरिग्रह(जरूरत से ज्यादा चीजों को संग्रह ना करना),प्रार्थना और स्वास्थ्य इन सात चीजों पर हमेशा बल दिया और उसे जीवन में उतारने की सलाह दी।
महात्मा गांधी के विचार आज भी प्रासंगिक व अनुकरणीय हैं। उनके राजनीतिक विचारों उनके सिद्धांत महिला,शिक्षा,अस्पृश्यता, सामाजिक चेतना के विषय आज भी शोधार्थियों के शोध का विषय है। आत्मनिरीक्षण के पक्षधर गांधी जी ने इसे स्वराज प्राप्त करने का सबसे बड़ा अस्त्र माना और अपनी आस्था पर हमेशा अडिग रहे। १५०वीं जयंती पर उन्हें शत शत नमन है।
परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।